Ramayana: रामायण में लंका का विशेष जिक्र है। लंका रामायण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है। लंका का इतिहास तो सभी लोग रावण से ही जानते होंगे। मगर आपने कभी ये सोचा है रावण से पहले लंका पर किसका राज था। आपको बता दें, रावण से भी पहले कोई था ऐसा जिसका संबंध लंका के निर्माण से था। तो आइए जानते हैं ये रोचक कहानी।
भगवान शंकर ने बनाई थी लंका नगरी
मान्यताओं और ग्रंथों के आधार पर लंका का निर्माण भगवान शंकर, देवी पार्वती और विश्वकर्मा जी ने करवाया था। सोने की लंकापुरी इन तीनों के प्रयास से ही बनाई गई थी। वहीं सप्तऋषि विश्ववा के द्वारा लंकापूरी ने गृहप्रवेश पूजा करवाया गया था लेकिन इन्होंने लोभ से दक्षिणा में भगवान शंकर और माता पार्वती से लंकानगरी ही मांग लिया।
इस बात पर माता पार्वती बेहद क्रोधित हो गई। इसके साथ माता ऋषि को श्राप दे दी। माता गौरी ने श्राप देते हुए कहा कि जिस लंका के लिए ऋषि के मन में लोभ आया उसी लंका को महादेव का अवतार ही जलाकर भस्म कर देगा।
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कुबेर बने लंका के राजा
मान्यताओं के अनुसार पुराण में बताया गया है कि रावण, कुबेर, कुंभकर्ण, अहिरावण, शूर्पनखा और विभीषण सभी लोग ऋषि विश्ववा के ही संतान थे। दक्षिण में लंका लेने के बाद ऋषि विश्ववा अपनी पहली संतान पुत्र कुबेर को लंका नगरी का राज्य भार सौंप दिए।
इसके बाद ऋषि विश्ववा और कैकसी के पुत्रों ने कुबेर को अपना राजा नहीं माना। लंका के लिए आपस में ही लड़ने लग गए। इस युद्ध में रावण अपने बुद्धि और पराक्रम से लंका को जीत लिया और राजा बन गया। तब से लेकर लंका जलने तक रावण ही लंकनगरी पर राज किया।
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