मिर्जापुर में एक बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए 15 साल से संघर्ष कर रहा है। जमीन के लिए परिजनों से मिलकर राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने खतौनी में बुजुर्ग को मृतक दिखा दिया। कागज पर उसे मृतक दिखा कर जमीन परिजनों के नाम कर दी। ऐसा ही एक मामला अलीगढ़ से भी सामने आया है। जहां एक बुजुर्ग के जीते जी उसे मृत घोषित कर खेती की जमीन ग्राम समाज में शामिल कर ली गई। सबसे पहले बात करते हैं मिर्जापुर की, जहां सरकारी रिकार्ड में एक बुजुर्ग को मृत करार दिया गया है। अब जिंदा रहते हुए खुद को जिंदा साबित करने के लिए वह सरकारी कार्यालय और कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। सदर तहसील के अमोई ग़ांव निवासी 56 साल के भोला सिंह डीएम कार्यालय के सामने हाथों में खुद के जिंदा रहने का बैनर लेकर बैठे हैं। बुजुर्ग भोला सिंह का कहना है कि उन्हें जीवित रहते हुए राजस्व निरीक्षक और लेखपाल ने मृत करार देकर उनके हिस्से की जमीन भाई राज नारायण के नाम कर दी। बार बार शासन प्रशासन से गुहार लगाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। जिंदा इंसान को मृत दिखाने के मामले को लेकर जब उप जिलाधिकारी से जानकारी लेनी चाही तो उन्होंने कहा कि इस मामले में जांच कर पीड़ित को न्याय दिलवाया जाएगा। वहीं अलीगढ़ में सरकारी मशीनरी की एक छोटी सी गलती का खामियाजा एक बुजुर्ग को भुगतना पड़ रहा है।

अलीगढ़ के बाबूलाल को इंसाफ कब ?

अलीगढ़ के थाना गंगीरी के गांव शादीपुर कुमरौआ निवासी बाबूलाल को भी दस्तावेजों में मृत घोषित कराकर बाबूलाल की जमीन को ग्राम पंचायत में शामिल कर लिया गया। बुजुर्ग 2004 से अधिकारियों की चौखट के चक्कर काट-काट कर साबित करने में लगा है कि साहब मैं जिंदा हूं। बुजुर्ग न्याय की गुहार लगा रहा है लेकिन प्रशासन अनजान बना बैठा है। इस मामले पर एसडीएम अतरौली ने मामले का संज्ञान होने से इनकार किया है। प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ जहां एक ओर एंटी भूमाफिया मुहिम चलवा कर कार्रवाई कर रहे हैं,  दूसरी ओर सरकार के ही नुमाइंदे उनकी कोशिशों पर पानी फेरते नजर आ रहे हैं।

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