कोरोना की दूसरी लहर ने देश को बहुत नुकसान पहुंचाया था। पहली लहर के दौरान भी इतनी मौतें नहीं हुई थी जितनी की दूसरी लहर के वक्त हुई थी। कोरोना की दूसरी लहर में मचे हाहाकार को लेकर अभिजीत बनर्जी ने सरकार को कसूरवार ठहराया है। उनका कहना है कि केंद्र लोगों तक सही मात्रा में टीके नहीं पहुंचा पाई थी जिसकी वजह से दूसरी लहर में कई लोगों को जान गंवानी पड़ी थी। नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत विनायक बनर्जी की अध्यक्षता में ग्लोबल एडवाइजरी बोर्ड (जीएबी) गुरुवार को पश्चिम बंगाल में राज्य सचिवालय में बैठक हुई थी।

बैठक में कोरोना महामारी की तीसरी लहर से लड़ने के उपायों पर चर्चा हुई।उन्होंने कहा-केंद्र सरकार को घाटे और बजट को संतुलित करने के बारे में अधिक चिंतित होने के बजाय यूरोप और अमेरिका की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तरह मुक्त-खर्च नीतियों में अधिक होना चाहिए। उन्होंने कहा -सबसे बड़ी समस्या यह है कि केंद्र देश को पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन उपलब्ध कराने के काबिल ही नहीं है। अगर पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन होती तो इस तरह की बातें सामने नहीं आतीं। हमें देश से किए गए वादे के मुताबिक टीके नहीं मिले।

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भारत की अर्थव्यवस्था पर बात करते हुए बनर्जी ने कहा-मुझे लगता है कि सरकार को खर्च के साथ और अधिक खुले हाथ होना चाहिए था। मैंने यह कई बार कहा है कि मुझे लगता है कि केंद्र सरकार वह करने के लिए तैयार नहीं है जो अमेरिका या यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं कर रही हैं – पैसा छापना और खर्च करना। इस बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल थी। बैठक में ममता ने मौजूदा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा-गुजरात, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक को पर्याप्त मात्रा में कोरोना के टीके दिए जा रहे हैं। मैं लोगों से भेदभाव नहीं करती, लेकिन बंगाल को जनसंख्या के हिसाब से काफी कम टीके मिले। मैं पहले भी प्रधानमंत्री से अपील कर चुकी है कि बंगाल की जनसंख्या के हिसाब से ही टीके दिए जाए

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