एम्स के निर्देशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने मंगलवार को एककार्यक्रम के दौरान बताया कि भारत में पिछले कुछ वक्त से कोरोना की तीसरी लहर को लेकर काफी सवाल पूछे जा रहे हैं, इस समय देश में कोरोना की तीसरी लहर आती नहीं दिखाई दे रही है। इसका मतलब है कि कोरोना वैक्सीन लोगों को कोरोना वायरस से बचा रही है, इसलिए हमें फिलहाल कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की कोई आवश्यकता नहीं है।

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश के अंदर टीकाकरण होने के कारण कोरोना के मामले लगातार घट रहे हैं, जो लोग कोरोना संक्रमित हो भी रहे हैं उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करवाने की नौबत नहीं आ रही है। आने वाले कुछ वक्त में भारत के अंदर कोरोना की लहर बिलकुल खत्म हो सकती है। उन्होंने आगे बताया कि ऐसा जरूरी नहीं है कि भारत में कोरोना की पहली और दूसरी लहर की तरह तीसरी लहर भी आएगी, अगर कोरोना की तीसरी लहर आती भी है तो यह दूसरी लहर जितनी गंभीर नहीं होगी।

भारत में कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज पर जब सवाल पूछे गए तब डॉ. गुलेरिया ने कहा कि देश में इस वक्त कोरोना काबू में है इसलिए वैक्सीन के बूस्टर डोज की कोई आवश्यकता नहीं है। नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने कहा कि कोरोना की तीसरी डोज लगानी है या नहीं इसका निर्णय विज्ञान पर आधारित होगा, फिलहाल वैक्सीन के बूस्टर डोज पर जांच और रिसर्च की जा रही है। देश के हर एक वयस्क का कोरोना वैक्सीन की दोनो डोज लेना अतिआवश्यक है, इसलिए जिन्होंने अब तक कोरोना वैक्सीन नहीं लगवाई है वह फौरन लगवाए।

डॉक्टर वीके पॉल ने आगे कहा कि अभी यह महामारी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है, इसे लेकर लापरवाही करना भारी पड़ सकता है। लोगों को यह समझने की जरूरत है कि अगर कोरोना वायरस अपना रूप बदलता है या उसका नया वैरिएंट सामने आता है तो वह हमारी सभी तैयारियों को प्रभावित करेगा। हम अभी एक बेहतर स्थिति में है लेकिन हम किसी तरह का कोई जोखिम नहीं उठा सकते हैं।

यह भी पढ़े-  पेट्रोलियम मंत्रालय ने आज बैठक में लिया बड़ा फैसला, पेट्रोल और डीजल के दाम में हो सकती है कटौती

आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि अभी देश में वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है। पिछले डेढ़ सालों में स्वास्थ्य कर्मचारियों, वैज्ञानिकों और सरकार ने मिलकर काफी ईमानदारी से काम किया है, इस महामारी ने हमें सिखाया है कि देश की स्वास्थ्य व्यवस्था को और भी मजबूत बनाने की आवश्यकता है।

डॉक्टर भार्गव ने आगे कहा है कि मीडिया ने भी अपना काम काफी अच्छे से किया, उन्होंने आम जनता को कोरोना वैक्सीन को लेकर अवगत करवाया। लोगों की वैक्सीन को लेकर जो झिझक थी उसे मीडिया ने काफी अच्छे से दूर किया। देश में घटते कोरोना के मामले उन सभी वैज्ञानिकों की मेहनत को दर्शाते हैं जिन्होंने आठ महीनों से भी कम समय में देश को उसकी पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन प्रदान की।

डॉक्टर भार्गव ने अपनी पुस्तक में कोवैक्सीन के निर्माण के पीछे कुछ कम-ज्ञात तथ्यों पर भी चर्चा की है, उन्होंने अपनी पुस्तक में राष्ट्र में लगे लॉकडाउन को भी बखूबी दर्शाया है। उन्होंने अपनी किताब में कोरोना से लड़ने के लिए हर के संगठन की भूमिका पर विस्तार में चर्चा की है।

भारत बायोटेक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक डॉक्टर कृष्णा एला ने कोवैक्सीन को बनाने में पीपीपी मॉडल के महत्व के बारे में लोगों को बताया, उन्होंने कहा कि देश में कोवैक्सीन का निर्माण सार्वजनिक निजी भागीदारी के लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण कहानी है। यह कहानी आपसी सम्मान, विश्वास और पारदर्शिता को दर्शाती है।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें।आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो पर सकते हैं

Share.
Exit mobile version