नरेंद्र मोदी की सरकार ने राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना को 2025-26 तक के लिए बढ़ा दिया है। 5,911 करोड़ रुपये की इस योजना को आगे बढ़ाये जाने के फैसले को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में बुधवार को मंजूरी दी गयी। कैबिनेट की मीटिंग की ब्रीफिंग के लिए बुलायी गयी प्रेस कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने यह जानकारी दी।

RGSA के होंगे फायदे
सरकार का कहना है कि ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) को आगे बढ़ाने की मंजूरी दये जाने से 2.78 लाख ग्रामीण निकायों को सतत विकास लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा. इतना ही नहीं, बेहतर सर्विस डिलीवरी और पारदर्शिता स्थापित करने में मदद मिलेगी।

कोयला क्षेत्र की भूमि के उपयोग के लिए नीति को मंजूरी
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोयला युक्त क्षेत्र (अधिग्रहण एवं विकास) अधिनियम, 1957 के तहत अधिग्रहीत भूमि के उपयोग के लिए नीति को भी मंजूरी दे दी। इस बदलाव से कोयला और ऊर्जा से संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास तथा स्थापना के लिए गैर-खनन योग्य भूमि का उपयोग करना संभव होगा। इससे अनुपयुक्त भूमि का उपयोग सुविधाजनक होगा, तो दूसरी तरफ कोयला क्षेत्र में निवेश तथा रोजगार सृजन बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

नयी नीति में क्या
इस नीति में कोयला और ऊर्जा से संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास तथा स्थापना के उद्देश्य से ऐसी भूमि के उपयोग का प्रावधान है। सीबीए अधिनियम में किसी भी ऋणभार से मुक्त, कोयला युक्त भूमि के अधिग्रहण और इसे सरकारी कंपनी में निहित करने का प्रावधान है।

जमीन की मालिक होंगी सरकारी कंपनियां
कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और इसकी सहायक कंपनियां सीबीए अधिनियम के तहत अधिग्रहीत इन भू-क्षेत्रों की मालिक बनी रहेंगी और यह नीति, केवल नीति में दिये गये उद्देश्यों के लिए ही, भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति देती है. कोयला और ऊर्जा संबंधी अवसंरचना विकास गतिविधियों के लिए सरकारी कोयला कंपनियां संयुक्त परियोजनाओं में निजी पूंजी लगा सकती हैं।

जमीन को पट्टे पर देगी सरकारी कोयला कंपनियां
जिस सरकारी कंपनी के पास भूमि है, वह ऐसी भूमि को नीति में दी गयी निश्चित अवधि के लिए पट्टे पर देगी और पट्टे के लिए संस्थाओं का चयन एक पारदर्शी, निष्पक्ष और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया और तंत्र के माध्यम से किया जायेगा, ताकि अधिकतम मूल्य प्राप्त किया जा सके।

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ये काम कर सकेंगी कंपनियां
निम्नलिखित गतिविधियों के लिए भू-क्षेत्रों पर विचार किया जायेगा:
कोल वाशरी स्थापित करना।
कन्वेयर सिस्टम स्थापित करना।
कोल हैंडलिंग प्लांट स्थापित करना।
रेलवे साइडिंग का निर्माण।
सीबीए अधिनियम या अन्य भूमि अधिग्रहण कानून के तहत भूमि-अधिग्रहण के कारण परियोजना प्रभावित परिवारों का पुनर्वास और स्थान-परिवर्तन पुनर्वास।
ताप आधारित और नवीकरणीय विद्युत परियोजनाओं की स्थापना करना।
प्रतिपूरक वनरोपण सहित कोयला विकास संबंधी अवसंरचना की स्थापना या प्रावधान करना।
मार्ग का अधिकार प्रदान करना।
कोयला गैसीकरण और कोयले से रसायन संयंत्र; और
ऊर्जा से संबंधित अवसंरचना की स्थापना या प्रावधान करना।

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