अगर आप भी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के खाताधारक है तो ये खबर आपके लिए जानना बहुत जरूरी है क्योंकि बीते दिनों से लगातार ईपीएफओ अकाउंट होल्डर्स के साथ धांधलेबाजी की खबरें सामने आ रही हैं। अब मुंबई पुलिस ने भी ऐसे ही एक गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो लोगों के खातों से लाखों रुपये ट्रांसफर कर रहा था।बता दें कि ये लोग कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के कार्यालय में तैनात कर्मचारियों ही हैं जो सिस्टम में बैठकर घपलेबाजी कर रहे थे। मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने आठ कर्मचारियों को कथित तौर पर एक सामान्य पीएफ पूल से 18.97 करोड़ रुपये निकालने का दोषी पाया है।

8 लोगों को किया गिरफ्तार

सीबीआई के मुताबिक आठ आरोपियों में धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड, ईपीएफओ के कांदिवली कार्यालय में एक क्लर्क चंदन कुमार सिन्हा हैं जो पूरे प्लान को अंजाम दे रहा था। इसके अलावा उसी ब्रांच के वरिष्ठ अभिजीत ओनेकर, शिव शंकर ममदी, उत्तम तगारे, विजय जरपे, दिलीप राठौड़, गणेश घायवत और सीमा बांकर को भी मामले में दोषी पाया गया है। ये सभी कर्मचारी एक ही ब्रांच में साथ काम करते थे। सीबीआई ने सभी आरोपियों पर धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक कदाचार के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो मुख्य आरोपी सिन्हा अगस्त 2021 में ईपीएफओ धोखाधड़ी सामने आने के बाद से ही फरार है।

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फर्जी खाते खोलकर किया फर्जीवाड़ा

दरअसल आरोपी सिन्हा ने कथित तौर पर प्रवासी श्रमिकों के 817 बैंक खातों का इस्तेमाल करके उनकी ओर से कुल 21.5 करोड़ रुपये पीएफ निकाला था। सिन्हा ने इसके लिए जरूरतमंद और ज्यादातर बेरोजगार प्रवासी श्रमिकों को 5,000 रुपये के रूप में कम कमीशन देकर सक्रिय बैंक खाते और आधार विवरण हासिल किए। जिसके बाद मुंबई की 20 कंपनियों के कर्मचारियों के नाम पर फर्जी खाते खोले जिसमें सारा पैसा ट्रांसफर किया गया। हालांकि अब उन खातों को बंद कर दिया गया है। फिलहाल सीबीआई मामले की जांच कर रही है।

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