गर्मी शुरू होते ही उत्तराखंड के पहाड़ों पर आग धधकने लगी है। कम बारिश और नमी कम होने के कारण पेड़ पौधे जल्द आग पकड़ रहे हैं। जिससे भारी मात्रा में वन संपदा को नुकसान हो रहा है। आग धीरे-धीरे ग्रामीण इलाकों की तरफ भी बढ़ती चली जा रही है। क्या कुमाऊं, क्या गढ़वाल देवभूमि के सभी जिलों में आग अपना कहर बरपा रही है। मसूरी के भेड़ियाना गांव के जंगलों और गेहूं की खडी फसलों में भीषण आग लग गई। वहीं, गौशाला भी आग की चपेट में हैं। करीब एक से डेढ़ किलोमीटर क्षेत्र में फैली भीषण आग से लोगों में दहशत का माहौल है।

कब बुझेगी जंगलों में लगी आग?

अगर बात नैनीताल की करें तो यहां के जंगलों में खुर्पाताल के पास जंगल में आग भीषण होती जा रही है। जंगलों में लगी आग की खबर से हडक़ंप मच गया है। तेजी के साथ जंगल धधकने लगे हैं। बताया जा रहा है कि आग तेजी से आबादी की तरफ बढ़ने लगी है। जिससे अब ग्रामीण घबराए हुए हैं और प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं। आग से वन संपदा को नुकसान के साथ वन्य जीवों को भी खतरा बन गया है। इसका पर्यावरण पर भी गहरा प्रभाव पड़ रहा है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है और हवाएं भी चल रही हैं, तो आग विकराल रूप धारण कर रही है। वहीं, भवाली अल्मोड़ा हाईवे से लगी पहाड़ी में आग लगी है। सड़क पर आग से चटखे पत्थर आने से वाहनों के शीशे टूटने की भी खबर है। गढ़वाल मंडल के कीर्तिनगर में पिछले 4 दिन से जंगल जल रहे हैं। इस कारण रास्ते भी बंद किए गए हैं।

धधकती आग पर केंद्र की मदद

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग पिछले 24 घंटों में भड़क गयी है। केन्द्र सरकार ने आग पर काबू पाने के प्रयास में मदद के लिए रविवार को दो हेलीकॉप्टर भेजे हैं। वनाग्नि की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने तत्काल प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों, वन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग और सभी जिलाधिकारियों की आपात बैठक बुलाई और स्थिति से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों का जायजा लिया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि जंगल में लगी आग अभी काबू से बाहर नहीं हुई है और उससे निपटने के तमाम उपाय किए जा रहे हैं। उत्तराखंड में इस साल सर्दियों में सामान्य से कम बारिश होने के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। बैठक में बताया गया कि इस ‘फायर सीजन’ में अब तक वनाग्नि की 983 घटनाएं हुई हैं जिससे 1,292 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। वर्तमान में 40 जगहों पर आग लगी हुई है।

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