कोरोना काल में आम लोगों को राहत देने के लिए सरकार ने कई नियमों में बदलाव किए। तो कर्जदाताओं को राहत देने के लिए RBI की ओर से भी कई छूट दी गई। जिसमें से एक था लोन मोराटोरियम, जिसकी अवधी 31 अगस्त को समाप्त हो गई है। यानी अब कर्जदाताओं को लोन की किस्तें तय समय पर चुकानी होंगी। लोगों की मांग है कि अभी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और रोजगार भी छिन गया है तो और मोहलत दी जाए। लोन मोराटोरियम के समय को बढ़ाने की मांग कर रही आम जनता और कॉरपोरेट के लिए सुप्रीम कोर्ट से अच्छी खबर आने की उम्मीद जताई जा रही है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लोन मोराटोरियम की सुविधा को 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। लोन मोराटोरियम की अवधि बढ़ाने की मांग वाले दो याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। मंगलवार को केंद्र सरकार की ओर से बेंच के सामने पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि लोन मोराटोरियम को दो साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। केंद्र सरकार की ओर से मोराटोरियम मामले को लेकर सोमवार को ही हलफनामा जमा कर दिया गया है। इस पर बेंच ने कहा कि उसे अभी हलफनामा नहीं मिला है। इसके बाद बेंच ने मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। अब इस मामले में बुधवार को सुनवाई होगी यानी सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं। यदि सुप्रीम कोर्ट की ओर से मोराटोरियम की अवधि नहीं बढ़ाई जाती है तो इस सुविधा का लाभ लेने वाले सभी लोगों को सितंबर से अपने लोन की किस्त का भुगतान करना होगा

क्या है तरीका…आपके लिए जरुरी

आपका जिस भी बैंक से कर्ज है वह आपसे बातचीत करेगा और EMI के भुगतान के बारे में आपसे चर्चा करेगा। ग्राहक यदि लोन की रीस्ट्रक्चरिंग चाहते हैं तो फिर उन्हें इसके लिए बैंक को पत्र लिखना होगा और अगर आप अपनी EMI चुका सकते हैं, तो आपको पुनर्गठन योजना से बचना चाहिए और वह इसलिए जरुरी है क्योंकि किस्तों के स्थगन की अवधि में भी लोन पर ब्याज जारी रहता है, जिसे आपको बाद अदा करना होगा।

6 महीने की मोराटोरियम सुविधा

मार्च महीने में कोरोना विकराल रुप में आ गया, जिसके बाद लॉकडाउन का ऐलान किय गया। संकट को देखते हुए रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंकों ने एक अहम फैसला लिया था। RBI ने तीन महीने के लिए लोन मोरेटोरियम का ऐलान किया था। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए कर दिया था। यानी कुल 6 महीने की मोराटोरियम सुविधा दी गई है। 31 अगस्त को यह सुविधा खत्म हो गई है। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी है कि कोरोना संकट में जिन कठिन आर्थिक हालातों को देखते हुए मोरेटोरियम सुविधा दी गई थी वह अभी समाप्त नहीं हुई है, ऐसे में मोरेटोरियम की सुविधा को और बढ़ाया जाना चाहिए।

‘ब्याज पर ब्याज’…क्या फैसला ?

सुप्रीम कोर्ट में 6 महीने की मोराटोरियम अवधि की ब्याज माफी को लेकर भी याचिका दायर की गई है। शीर्ष कोर्ट ब्याज पर ब्याज के मसले पर भी बात करेगा इस मामले की सुनवाई भी जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच कर रही है। इस मामले में भी बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। मंगलवार को इस मामले में कोई सुनवाई नहीं हुई। अब इस मामले की सुनवाई भी बुधवार को ही होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि ब्याज पर ब्याज वसूलने की कोई वजह नहीं बनती।

सरकार पर ‘सुप्रीम’ टिप्पणी

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के प्रति सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि लोन मोरेटोरियम के मामले में वह अपना रुख स्पष्ट करने के लिए जल्द हलफनामा दे और रिजर्व बैंक के पीछे छुपकर अपने को बचाये नहीं। लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज की किश्तें चुकाने के लिए मिली मोहलत के दौरान ब्याज माफी के अनुरोध वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अर्थव्यवस्था में समस्या सरकार के लॉकडाउन की वजह से आई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी पक्ष से कहा कि आपने कहा है कि रिजर्व बैंक ने इस बारे में निर्णय लिया है। हमने इस बारे में रिजर्व बैंक का जवाब देखा है। केंद्र सरकार आरबीआई के पीछे छुप रही है।

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