दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एक बार फिर से विवादों में आ गए हैं। इस बार उनका एक बयान मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर काफी सुर्खियां बटोर रहा है। लोग उनके काम पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इतना ही नहीं बाल सुधार गृह के राष्ट्रीय दफ्तर से उन्हें नोटिस भी जारी कर दिया गया है। चलिए आपको पूरा मामला बताते हैं।


सीएम अरविंद केजरीवाल का बड़ा बयान

दिल्ली के मुख्यमंत्री विधानसभा में बजट 2022 और 23 पर पेश कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने बाल सुधार गृह की स्थिति पर बड़ा बयान देते हुए कहा कि दिल्ली में बाल सुधार गृह की स्थिति ठीक नहीं है जिसके कारण वहां से बच्चे भाग जाते हैं। यहां पर उनके रहने की और खाने की व्यवस्था ठीक नहीं है। इसके साथ ही सीएम केजरीवाल की तरफ से इस समस्या को खत्म करने के लिए भी कहा गया, जिसमें उन्होंने कहा कि, जब आप ट्रैफिक लाइट पर रुकते हो, तो आपकी कार की खिड़की के पास आकर कोई बच्चा खटखटाता है और वो आपसे पैसे मांगता है या वो कुछ बेचने की कोशिश करता है, तो उसकी तरफ कोई सरकार ध्यान नहीं देती, क्योंकि वो वोटर नहीं है। वो वोट बैंक नहीं है। हम इन बच्चों के लिए आवासीय स्टेट ऑफ द ऑर्ट फैसिलिटी का एक स्कूल बनाएंगे। वो आवासीय स्कूल बिल्कुल अलग किस्म का होगा, क्योंकि बच्चों को सबसे पहले हमें भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक सहारा देना पड़ेगा।

केजरीवाल सरकार को मिला नोटिस

उनका यह बयान फिर उनके लिए ही मुश्किल बन गया क्योंकि उनके बयान इस बयान की काफी आलोचना होने लगी और राष्ट्रीय बाल सुधार गृह की तरफ से उन्हें नोटिस जारी कर दिया गया।इसके साथ ही एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शनिवार को दावा किया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक रूप से माना है, कि दिल्ली में बाल गृहों में बच्चों की देखभाल नहीं की जा रही है, जिसके लिए स्पष्टीकरण मांगते हुए एक नोटिस जारी किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि,दिल्ली के चिल्ड्रन होम्स से बच्चे भाग जाते हैं और उनकी कोई देखरेख नहीं करता- जब एक मुख्यमंत्री खुद यह बात स्वीकार कर रहा है कि दिल्ली के चिल्ड्रन होम्स की हालत खराब है, तो हम जरूर मुख्य सचिव को जरूर नोटिस भेजेंगे और जवाब मांगेंगे।

एनसीपीसीआर अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का केजरीवाल सरकार पर आरोप

इससे पहले राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो केजरीवाल सरकार पर सवाल भी उठा चुके हैं, उन्होंने सोशल मीडिया केजरीवाल सरकार को घेरते हुए लिखा था कि, माननीय सर्वोच्च न्यायालय नवंबर माह से बार-बार लगातार सड़क पर रह रहे बच्चों को पुनर्वासित करने का निर्देश दे रहा है, लेकिन दिल्ली सरकार की लापरवाही के कारण सिर्फ 1800 बच्चों की स्थिति पर कदम उठाया गया। ऐसे में ऐसे में उन्होंने केजरीवाल सरकार की लापरवाही पर कई सारे सवाल भी खड़े किए थे, जिसके कारण कई सारे दल केजरीवाल सरकार से सवाल पूछ रहे थे कि, जब वही बाल सुधार गृह पर सवाल खड़े कर रहे हैं अपनी गलती मान रहे हैं तो ऐसे में उनके काम कैसे होंगे इसको लेकर अंदाजा लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं उन्होंने केजरीवाल सरकार पर एक और गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि, दिल्ली की सड़कों पर रह रहे 73000 बच्चों की जानकारी दिल्ली सरकार को 2 साल पहले दी गई थी, जिसमें से एक भी बच्चे को पुनर्वासित नहीं किया गया। इसके लिए की गई समीक्षा बैठकों से दिल्ली सरकार गायब रही। दिल्ली सरकार ही बच्चों के लिए इतनी लापरवाह है तो फिर इस तरह के सवाल खड़ा करना कितना सही है। राष्ट्रीय बाल सुधार गृह के अध्यक्ष की तरफ से कई सारे सवाल भी केजरीवाल सरकार पर दागे गए हैं।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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