Eid: आज पूरे देश में बकरीद का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जा रहा हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद में नमाजियों ने नमाज पढ़ी और अमन शांति की दुआ की। इस त्यौहार को ईद उल अजहा या कुर्बानी का त्यौहार भी कहा जाता हैं। ईद उल अजहा या बकरीद इस्लाम धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे मुस्लिम समुदाय के लोग पूरे जोश के साथ मनाते हैं। बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने में मनाया जाता है।

70 दिन बाद बकरीद मनाई जाती

रमजान का महीना खत्म होने के 70 दिन बाद बकरीद मनाई जाती हैं। इस दिन नमाज पढ़ने के बाद कुर्बानी दी जाती है। बकरीद की तारीख चांद दिखने से तय होती है। पूरे भारत में आज बकरीद मनाई जाएगी। इस मौके पर दिल्ली की जामा मस्जिद में भारी भीड़ देखने को मिली। उदयपुर में हुए हत्याकांड को देखने के बाद पुलिस प्रशासन ने नियमों में सख्ती बढ़ाई है। माहौल खराब न हो इसके लिए पुलिस प्रशासन के मुखिया सड़कों पर गश्त कर रहे हैं।

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बकरीद मनाने का इतिहास

बकरीद के इतिहास के बारे में बात करें तो इस्लाम धर्म के अनुसार किसी समय अल्लाह के पैगंबर हुए हजरत इब्राहिम हमेशा अल्लाह के दिखाए सच्चे रास्ते पर चलते थे। वे सभी से प्रेम करते थे और दूसरे लोगों को भी अल्लाह के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते थे। एक दिन उन्हें सपने में अल्लाह ने आकर अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया था।

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हजरत इब्राहिम को अपना बेटा इस्माइल सबसे ज्यादा प्यारा था। हजरत साहब ने उसी की कुर्बानी देने का फैसला किया। बेटे की कुर्बानी देते समय उनका हाथ न रुक जाए, इसलिए पैगंबर ने आंखों पर पट्टी बांधकर छुरी चलाई और जब पट्टी हटाई तो इस्माइल सही सलामत था और उनकी जगह एक भेड़ पड़ा था। तभी से कुर्बानी देने की प्रथा शुरु हुई।

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