आज किसान आंदोलन का 37वां दिन है। किसान और सरकार के बीच सातवें दौर की बातचीत में पूरा समाधान तो नहीं निकला लेकिन विवाद के दो मुद्दों पर सहमति बन गई। अब पूरे समाधान के लिए चार जनवरी को आठवें दौर की बैठक तय की गई है। अब अहम सवाल ये है कि क्या नए साल में 4 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली अगले दौर की बातचीत के बाद आंदोलन खत्म हो जाएगा। किसान संगठनों ने बहरहाल 4 जनवरी तक आंदोलन तेज न करने का ऐलान किया है। किसानों को भी उम्मीद बंधी है, लेकिन दिल्ली बॉर्डर पर किसान टस से मस नहीं हुए हैं। उनका धरना जारी है। कृषि कानूनों के खिलाफ वो अब भी आवाज बुलंद कर रहे हैं। किसानों ने नए साल के मौके पर भजन कीर्तन किया और एक दूसरे को नये साल की शुभकामनाएं दी। इस दौरान आगे की रणनीति के बारे में चर्चा करते हुए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि 4 जनवरी को होने वाली बैठक में कानूनों की वापसी और एमएसपी पर कानून बनाने पर चर्चा होगी। आज सभी लोग विधिवत रूप से इस पर चर्चा करेंगे कि पहले हुई बैठक में क्या हुआ और अगली बैठक में क्या होगा।

देश मना रहा जश्न…बॉर्डर पर संग्राम

नए कृषि कानून को 100 दिन बीत चुके हैं और 37 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर किसान इन कानूनों को खत्म करने लिए डटे हुए हैं। बवाल, भारत बंद, उपवास सभी हथकंडे अपनाकर किसानों ने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। लेकिन बात बन नहीं बन पाई। किसान ठान चुके हैं बिना कृषि कानूनों को खत्म करे बिना कुछ भी नहीं। दिल्ली की सीमाओं पर ही नहीं देशभर में किसान बीजेपी नेताओं के आवास के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही पंजाब, राजस्थान और कई अन्य राज्यों से किसानों के नये-नये जत्थे दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच रहे हैं। संगठन के लोग ट्रैक्टर ट्रॉली से आ रहे हैं. साथ में राशन-पानी भी ला रहे हैं। किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों की वापसी तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

4 जनवरी को मंथन, क्या अगला एक्शन ?

किसानों को प्रदर्शन करते हुए महीना भर से अधिक हो चुका है, केंद्र सरकार से जारी बातचीत में उन्हें अब तक कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है, पर उन्हें विश्वास है कि जीत उन्हीं की होगी। किसानों की प्रमुख मांग अब ये है कि सरकार उन्हें बताए कि वो तीनों कृषि क़ानूनों को कैसे रद्द करने वाली है। किसान संगठन चाहते हैं कि तीनों क़ानून वापस लिये जायें। इन क़ानूनों को किसान काले क़ानून कह रहे हैं। अपनी मांगों को लेकर किसान संगठन दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं। दिसंबर-जनवरी की ठण्ड में, जब न्यूनतम तापमान 3-5 डिग्री तक जा रहा है, जो खुले में शून्य से भी ज़्यादा ठण्डा महसूस होता है। जैसे-जैसे रात गहराती है, तापमान तेज़ी से गिरता है, मगर अलाव और प्रदर्शन में शामिल लोगों की गर्मजोशी इसके असर को महसूस नहीं होने देती। अब 4 जनवरी को अगली बैठक होनी है। सबकी नजरें इस बैठक पर टिकी हैं।

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