दिल्ली-हरियाणा-पंजाब बॉर्डर पर बैठे किसानों ने इस कड़कड़ती ठण्ड, शीतलहर, बारिश और कोहरे का प्रकोप झेल कर भी अपने आंदोलन को जारी रखा है। आज किसान आंदोलन का 40 वां दिन था। वही किसान दिन पर दिन आत्महत्या करने पर मजबूर होते जा रहे है। सोमवार को सरकार और अन्नदाताओं के बीच एक बार फिर महत्वपूर्ण बैठक हुई। ये बैठक आठवें दौर की थी जो बेनतीजा रही। ये बातचीत दोपहर 2 बजे से विज्ञान भवन में हुई। इससे पहले अब तक सात दौर की बातचीत हो चुकी थी। किसान संगठनों के MSP पर लिखित आश्वासन और तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग पर सरकार ने कहा एक संयुक्त कमेटी बना देते हैं वो तय करे कि इन तीनों कानूनों में क्या क्या संशोधन किए जाने चाहिए। सरकार के इस प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया। अब अगली बैठक 8 जनवरी को तय हुई है।

अड़े हैं किसान कब मिलेगी समाधान ?

बैठक में किसान संगठनों ने कहा कि आप हमें ये बताएं कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेंगे या नहीं। इस पर नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हम तीन कानूनो में संशोधन के लिए तैयार हैं। भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, मीटिंग का एजेंडा रहेगा स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट, तीन कृषि क़ानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क़ानून बने। हम वापस नहीं जाएंगे। अब तक 60 किसान शहीद हो चुके हैं। सरकार को जवाब देना होगा। वहीं, किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के सुखविंदर सिंह सभरा ने कहा कि किसान आगे के लिए प्लान बना चुके हैं।

सरकार के भरोसे पर कब ‘विश्वास’ ?

बैठक के बाद नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, किसानों के कानून वापस लेने पर अड़े रहने की वजह से कोई रास्ता नहीं निकल पाया। हमें उम्मीद है कि अगली बैठक में सार्थक चर्चा होगी और हम समाधान तक पहुंच पाएंगे। किसानों को सरकार पर भरोसा है और सरकार के मन में किसानों के प्रति सम्मान और संवेदना है। तोमर ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि किसानों के समग्र हित को देखते हुए ही कानून बनाया है। हमारी अपेक्षा है कि किसन यूनियन की तरफ से यह बात हमारे सामने आए जिससे किसानों को समस्या है। हम उसपर खुलकर बातचीत करने को तैयार हैं। मुझे लगता है कि मुद्दे का जल्द ही समाधान होगा।

किसानों की सरकार को चेतावनी

किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज करेंगे। किसान संगठनों की ओर से कहा गया है कि 13 जनवरी को नए कृषि कानूनों की कॉपी जलाकर लोहड़ी मनाएंगे और 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन के अवसर पर किसान दिवस भी मनाएंगे। इसके साथ ही 6 से 20 जनवरी तक देश जागृति पखवाड़ा मनाया जाएगा। इसी दिन किसान KMP एक्सप्रेसवे पर मार्च निकालेंगे। दिल्ली की सीमाओं पर बारिश के बीच किसान डटे हुए हैं। किसानों का कहना है कि वो मांग पूरी किए बिना वापस नहीं जाएंगे।

सरकार के खाने से किसानों का इंकार

8वें दौर की मीटिंग के दौरान भी लंच में सरकार ने किसानों के लिए खाने की व्यवस्था की थी। लेकिन, किसानों ने सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने लंगर का खाना ही खाया। किसानों की बैठक के दौरान करीब 200 लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन पहुंचाया गया था। पिछली मीटिंग में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस समय केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था। अब सबकी नजर 9वें दौर की बातचीत यानी 8 जनवरी पर टिकी है। क्योंकि कड़कड़ाती ठंड पर किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं।

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