कड़ाके की ठंड है कोरोना का कहर है…इन सबके बीच पिछले 29 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं। सरकार की लाख कोशिश के बाद भी किसान कृषि कानूनों की वापसी के बिना किसी भी हाल में मानने को तैयार नहीं है। पीएम मोदी से लेकर अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत बीजेपी नेता लगातार कृषि कानूनों को किसान हित में बताकर आंदोलन खत्म करने की अपील कर रहे हैं। 25 दिसंबर यानि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर पीएम नरेंद्र मोदी किसानों से फिर संवाद करेंगे। इस बार अवध के किसानों के पीएम मोदी नए कृषि कानूनों की खूबियां बताएंगे। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश बीजेपी कार्यकर्ता, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की चिट्ठी लेकर घर-घर जाएंगे। यही नहीं प्रधानमंत्री मोदी अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर 25 दिसंबर को पूरे उत्तर प्रदेश में ढाई हजार किसानों के चौपाल के साथ जुड़ेंगे। बीजेपी पूरे प्रदेश में ढाई हजार से अधिक जगहों पर किसानों से संपर्क का अभियान चलाएगी जिसमें प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किसानों से बातचीत करेंगे।

अबकी बार…अवध के किसानों से संवाद

उत्तर प्रदेश में किसानों को जोड़ने का यह सबसे बड़ा मेगा कार्यक्रम होने जा रहा है। अकेले अवध में 377 जगह होंगे जबकि पूरे उत्तर प्रदेश में ढाई हजार से ज्यादा जगहों पर कार्यक्रम होंगे। पीएम मोदी लगातार कृषि कानूनों को लेकर किसानों से बातचीत कर रहे हैं और कृषि कानूनों की खूबियों की जानकारी दे रहे हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, किसान सम्मान निधि की सातवीं किस्त जारी करेंगे….पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर उत्तर प्रदेश बीजेपी ने खास तैयारी की है।

कृषि कानूनों पर कौन कर रहा है जिद ?

यूपी के हर जिले में किसान संवाद का आयोजन किया जाएगा। ताकि कृषि कानूनों पर पीएम मोदी के संदेश को लोगों तक पहुंचाया जा सके। किसान संवाद के अगले दिन से बीजेपी ने नए कृषि कानूनों के समर्थन में अपना अभियान चलाएगी। उत्तर प्रदेश में 26 और 27 दिसंबर को बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर जाएंगे और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर की चिट्ठी को दिखाकर किसान हित में किए कार्यों को गिनाएंगे। इसके साथ ही मलिन बस्तियों में केंद्र की योजनाओं को बताएंगे। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को 29 दिन बीच चुके हैं। लेकिन अब तक कोई बात नहीं बनी है। सरकार अपने इरादे पर अडिग है तो किसान तीनों नए कानून वापस लेने की मांग पर डटे हैं। सरकार लगातार किसानों को मनाने में जुटी हुई है। लेकिन किसानों के संग्राम का कब समाधान निकलेगा ये कोई नहीं जानता।

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