नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का प्रर्दशन लगातार जारी है. इस बीच किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच आज हुई पांचवें दौर की बातचीत भी किसी नतीजे तक नही पहुंच पाई। आज की बैठक तकरीबन पांच घंटे तक चली, इस दौरान किसानों ने सरकार से कहा कि, “वो स्पष्ट तौर पर कहे कि वो इन कानूनों को वापस लेगी या नहीं” वहीं सरकार की तरफ से किसानों के साथ अगली बैठक नौ दिसंबर रखी गई है। वहीं किसानों का कहना है कि सरकार अपना लिखित फैसला भेजे।

किसानों ने रखी ये मांग:
सरकार के साथ पांचवें दौर की बैठक के बीच किसानों ने सरकार से कहा है कि उन्हें कॉरपोरेट फार्मिंग कानून बिल्कुल मंजूर नहीं है। किसानों का कहना है कि कॉरपोरेट फार्मिंग कानून से सिर्फ सरकार को फायदा होगा, किसानों को इससे कुछ नहीं मिलेगा. बैठक के दौरान किसान नेताओं ने कहा कि “हमारे पास इतना सामान है कि हम एक साल गुज़ार सकते हैं. हम कई दिनों से सड़क पर हैं. अगर सरकार चाहती है कि हम सड़कों पर ही रहें तो हमें कोई परेशानी नहीं. हम अहिंसा का रास्ता नहीं अपनाएंगे. प्रोटेस्ट वाली जगह पर हम क्या कर रहे हैं, इंटेलिजेंस ब्यूरो इसकी जानकारी आपको दे देगी”

कॉरपोरेट फार्मिंग कानून मंजूर नहीं:
सरकार के साथ बैठक के बीच किसानों ने साफ कह दिया है कि उनको किसी भी शर्त पर कॉरपोरेट फार्मिंग कानून मंजूर नहीं है. सरकार सिर्फ भ्रम फैलाना चाहती है। एमएसपी पर ठोस काम होना चाहिए। सालभर खेती करने के बाद अगर उचित मुल्य नहीं मिले तो किसानी करने का कोई फायदा नहीं है।

बैठक में कनाडा के प्रधानमंत्री का जिक्र:
सरकार से बातचीत के दौरान किसानों ने कनाडा के प्रधानमंत्री का भी जिक्र हुआ। इस दौरान एक किसान नेता ने कहा कि हमारी आवाज कनाडा के प्रधानमंत्री और वहां की पार्लियामेंट पहुंच गई, लेकिन हमारी सरकार बात नहीं सुन रही.

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