दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए किसानों का नए कृषि कानून को लेकर आंदोलन जारी है। कड़ाके की ठंड में भी कई दिनों से किसानों का अर्धनग्न विरोध प्रदर्शन चल रहा है। वही 4 जनवरी को सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही।  किसानों का कहना है कि क़ानून वापसी नहीं तो घर वापसी भी नहीं होगी।  इस नए कानून से किसानों को नहीं सिर्फ पूंजीपतियों को फायदा है। सोमवार को बैठक में सरकार कानूनों में संशोधन की मांग दोहराती रही। वहीं किसान कानून वापसी की बात पर अड़े रहे। MSP के मसले पर भी कोई हल नहीं निकला। विपक्ष ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि पहले से ही पता था कि बैठक में किसानों के आंदोलन को लेकर कोई समाधान नहीं निकलेगा। फेल हुए फॉर्मूले को सरकार फिर से आजमाने की कोशिश में लगी है।

न्यूनतम दाम पर अधिकतम ‘संग्राम’

वही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसानों को सरकार पर भरोसा है और नए कृषि कानूनों के बारे में कोई भी फैसला देशभर के किसानों के हितों को ध्यान में रखकर ही लिया जाएगा। किसानों की समस्याओं को लेकर दोनों ही तरह उत्सुकता है कि जल्द से जल्द इसका हल निकले। 8 जनवरी दोपहर 2 बजे के आसपास किसानों और सरकार के बीच आठवें दौर की वार्ता होगी। अगर उसमें भी कोई समाधान नहीं निकला तो किसानों ने धमकी दी है आंदोलन और तेज होगा।

कृषि कानून वापस लेने का लगातार दबाव

पहले 6 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया था। जिसे अब 7 जनवरी तक टाल दिया गया है। किसानों ने ये फैसला खराब मौसम के चलते लिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वे आने वाले दिनों में अपने आंदोलन को तेज करेंगे। किसानों ने सात जनवरी को सभी प्रदर्शन स्थलों से कुंडली-मानेसर-पलवल के लिए ट्रैक्टर मार्च निकालने का प्लान तैयार कर लिया गया है। पिछले तीन दिन से दिल्ली और आसपास के इलाकों में रुक-रुककर बारिश हो रही है। जिसके बाद ट्रैक्टर मार्च को एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। साथ ही किसान बिना कृषि बिलों को वापस लिए बिना मानने को तैयार नहीं है। किसान आगे और तेज आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं ।26 जनवरी को भी किसान ट्रैक्टर मार्च के जरिए अपना विरोध दर्ज कराएंगे।

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