LAC पर चीन की धोखेबाजी के बाद लगातार भारत की तरफ से एक्शन जारी है। चीनी कंपनियों को भारत से लगातार बड़े झटके मिल रहे हैं। अब भारतीय रेलवे ने 44 सेमी हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेन बनाने का टेंडर रद्द कर दिया है। रेल मंत्रालय ने कहा कि, वह हफ्ते के अंदर नई निविदा जारी करेगा और केंद्र के मेक इन इंडिया कार्यक्रम को तरजीह दी जाएगी। भारत सरकार की ओर से निविदा रद्द किए जाने का कदम चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि 44 हाई स्पीड ट्रेन की आपूर्ति के लिए 6 दावेदारों में चीनी संयुक्त उद्यम सीआरआरसी पॉयनियर इलेक्ट्रिक प्राइवेट लिमिटेड अकेली विदेशी बोलीदाता के रूप में उभरी थी। रेलवे ने ट्वीट के जरिए शुक्रवार देर रात टेंडर रद्द करने की जानकारी दी।

एक हफ्ते में नया टेंडर जारी

रेलवे का मानना है कि यह टेंडर किसी घरेलू कंपनी को दिया जाए। टेंडर की रेस में चीनी कंपनी सबसे आगे दिखी तो रेलवे ने टेंडर रद्द कर दिया। इस परियोजना की लागत करीब 1500 करोड़ रुपए है। रेलवे के मुताबिक इन ट्रेनों के निर्माण के लिए एक हफ्ते में नया टेंडर जारी किया जाएगा। रेलवे पूरी तरह घरेलू कंपनियों को निविदा देने के पक्ष में है। जब उसे लगा कि परियोजना की दौड़ में चीनी कंपनी भी आगे हो सकती है तो उसने निविदा रद कर दी। नए टेंडर में मेक इन इंडिया को प्राथमिकता दी जाएगी। हालांकि, रेलवे ने मौजूदा टेंडर को रद्द करने की आधिकारिक वजह नहीं बताई है। इन ट्रेनों के निर्माण के लिए टेंडर पिछले महीने खोला गया था। रेलवे यह सुनिश्चित करना चाहता है कि यह टेंडर किसी घरेलू कंपनी को मिले और जैसे ही पता चला कि चीनी संयुक्त उद्यम इस परियोजना में सबसे आगे था। इस टेंडर को रद्द कर दिया गया। भारतीय रेलवे की चेन्नई स्थित इंटीग्रल कोच फैक्टरी ने 10 जुलाई को टेंडर जारी किया था। रेल मंत्रालय के मुताबिक, चीन की संयुक्त उद्यम के अलावा अन्य पांच बोलीदाताओं में भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत इंडस्ट्रीज, इलेक्ट्रोवेव्स इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड, मेधा सेर्वो ड्राइवस प्राइवेट लिमिटेड और पावरनेटिक्स एक्विप्मेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे।

भारत में दो वंदे भारत ट्रेन

अभी देश के दो हिस्सों में हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत ट्रेन का संचालन होता है। पहली वंदे भारत एक्सप्रेस का लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने 15 फरवरी 2019 को नई दिल्ली से वाराणासी के लिए किया था। इसके बाद दूसरी वंदे भारत ट्रेन नई दिल्ली और कटरा के लिए चलाई गई। इस ट्रेन को गृह मंत्री अमित शाह ने 3 अक्टूबर 2019 को हरी झंडी दिखाई थी। दोनों ट्रेनों को आईसीएफ चेन्नई ने बनाया था। ये दोनों ट्रेन सेट सौ प्रतिशत मेक इन इंडिया हैं। आईसीएफ ने प्रत्येक वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन सेट को महज 97 करोड़ में बनाया था। इसे 18 महीनों के भीतर ही डिजाइन करके पटरी पर उतार दिया गया था।

चीन को लगातार आर्थिक चोट

चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के बाद से ही भारत लगातार चीन को आर्थिक नुकसान दे रहा है। पहले सरकार ने भारत में चीन के 59 ऐप्स पर बैन लगा दिया था। इसमें टिकटॉक, वीचैट, अलीबाबा ग्रुप का यूसी ब्राउजर और यूसी न्यूज जैसे पॉपुलर ऐप शामिल थे। इसके बाद सरकार ने पिछले महीने जुलाई में भी चीन के 47 ऐप्स पर बैन लगाया था। इसमें अधिकांश पहले बैन किए गए ऐप्स के क्लोन थे। इस प्रकार भारत सरकार अब तक चीन के 106 ऐप्स पर बैन लगा चुकी है। साथ ही रेलवे ने थर्मल कैमरे की खरीद के लिए चीनी कंपनी को छोड़ी गई निविदा निरस्त कर दी थी। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने भी चीनी कंपनी के साथ हुए 470 करोड़ रुपये के करार को रद कर दिया था। तो शुक्रवार को एक और बड़ा झटका देते हुए 44 सेमी हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेन बनाने का टेंडर रद्द कर दिया है। 16 डिब्बे वाली 44 वंदे भारत सेमी हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए इलेक्ट्रिकल उपकरण और अन्य सामानों की आपूर्ति के लिए 6 कंपनियों ने टेंडर डाला था। इसमें चीनी संयुक्त उद्यम सीआरआरसी-पायोनियर प्राइवेट लिमिटेड एकमात्र विदेशी कंपनी थी, लेकिन चीन से इसका संबंध होने के कारण टेंडर रद्द कर दिया गया। चीन की कंपनी सीआरआरसी योंगजी इलेक्ट्रिक कंपनी लिमिटेड और गुड़गांव की स्थापना 2015 में हुई थी।

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