नेपाल में सियासी जंग जारी है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली तथा पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दाहाल के बीच मन-मुटाव जारी है । इसी बीच नेपाल कि राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी ने नेपाल के बजट सत्र को रद्द कर दिया है । हालांकि बजट सत्र को रद्द करने की मांग कैबिनेट द्वारा की गई थी । ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि पीएम ओली ने बहुमत नहीं होने के कारण इस बजट सत्र को रद्द करवाया ।

बहुमत कहीं कम न हो जाए इसके भय से ओली विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस के नेताओं से भी सम्पर्क कर रहे हैं । वह मामले को पूरा दबाने की कोशिश कर रहे हैं अगर ऐसा न हुआ तो वह पार्टी का विभाजन करवाने से भी नहीं चुकेंगे। ओली कैबिनेट में दल विभाजन अध्यादेश लाने की तैयारी में हैं और इसको लेकर उन्होंने तैयारियां शुरू कर दी है । नेपाल के कानून के मुताबिक दल विभाजन के लिए 40 प्रतिशत संसद सदस्य और 40 प्रतिशत पार्टी की केंद्रीय समिति के सदस्य के समर्थन की आवश्यकता होती है । मगर नए अध्यादेश में इन दोनों में से किसी एक का भी समर्थन होने से दल विभाजन को मान्यता मिल जाएगा । ओली को यकीन है कि विभाजन अध्यादेश लाकर वो अपनी कुर्सी बचा लेंगे । इसलिए उन्होंने स्थायी समिति की बैठक में कैबिनेट में विभाजन अध्यादेश को लाने पर मुहर लगवा ली। वहीं दूसरी ओर अगर प्रचंड के नेतृत्व वाली पार्टी दोनों विपक्षी पार्टी मिल जाए तो सत्ता में आने की संभावना है ।

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