प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा लोकतंत्र पर आयोजित समिट (Democracy Summit) में हिस्सा लिया। लोकतंत्र के सिद्धांतों को ग्लोबल गर्वनेंस का मार्गदर्शन करना चाहिए और टेक्नोलॉजी कंपनियों को खुले और लोकतांत्रिक समाजों को संरक्षित करने में योगदान देना चाहिए। यह बात प्रधानमंत्री ने वुर्चअल रूप से आयोजित लोकतंत्र के शिखर (Democracy Summit) सम्मेलन में कहीं।

प्रधानमंत्री ने ट्वीटर पर ट्वीट करते हुए कहा कि “राष्ट्रपति बाइडन के निमंत्रण पर लोकतंत्र के शिखर सम्मेलन में भाग लेकर खुश हूं। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में, भारत बहुपक्षीय मंचों सहित विश्व स्तर पर लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ काम करने के लिए तैयार है। “

इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि याद ठीक इसी तारीख को 75 साल पहले, भारत की संविधान सभा ने अपना पहला सत्र आयोजित किया था। उन्होंने लोकतंत्र के मूल स्रोतों में से एक भारत के जातीय स्वभाव पर प्रकाश डाला। पीएम मोदी ने कहा कि कानून के शासन और बहुलवादी लोकाचार के सम्मान सहित लोकतांत्रिक भावना भारतीय लोगों में निहित है। भारतीय प्रवासी भी इसको मानते  हैं, जिससे उनके घरों की आर्थिक भलाई और सामाजिक सद्भाव में योगदान होता है।

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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को लोकतंत्र के लिए पहली बार शिखर सम्मेलन की शुरुआत की। प्रधानमंत्री मोदी के अलावा, फ्रांस, कनाडा, ब्राजील, अर्जेंटीना, उरुग्वे, जापान, इज़राइल और फिलीपींस सहित लगभग 80 विश्व नेताओं ने उद्घाटन भाषण में भाग लिया।

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अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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