कृषि कानून के आंदोलन की आर में जिस तरीके से अंबानी और अडानी के खिलाफ लोगों को भड़काया गया उसका परिणाम भी अब सामने आने लगा है। खासकर पंजाब में लोगों ने कृषि कानून के विरोध में जियो के मोबाइल टावरों को निशाना बनाना शुरू कर दिया। जिसके बाद तो लोगों ने एक-एक कर 1600 से अधिक टावरों मे तोड़-फोड़ की। मोबाइल टावरो में इस तोड़ फोड़ के बाद अब रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने अपनी सब्सिडियरी कंपनी रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड के जरिए पंजाब और हरियाण हाई कोर्ट में उपद्रवियों पर सरकारी प्राधिकरणों द्वारा तत्काल हस्तक्षेप करने के लिए याचिका दायर की है। गौरतलब है कि इससे पहले कंपनी ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब के डीजीपी दिनकर गुप्ता को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की थी। सरकार की बेरूखी के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सोमवार को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में सब्सिडरी जियो इंफोकॉम ने याचिका दायर की जिसमें उन्होंने कहा कि नए तीन कृषि कानूनों का कंपनी से कोई लेना-देना नहीं है और न ही उसे किसी भी तरह से इनका कोई लाभ पहुंचता है। कोर्ट में रिलायंस ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, रिलायंस रिटेल लिमिटेड रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड और रिलायंस से जुड़ी कोई भी अन्य कंपनी न तो कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करती है और न ही करवाती है।

इस बिजनेस में उतरने की भी कंपनी की कोई योजना नहीं है। रिलायंस ने 130 करोड़ भारतीयों का पेट भरने वाले किसान को अन्नदाता बताया और किसान की समृद्धी और सशक्तिकरण के लिए अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की। किसानों में फैली गलतफहमियां दूर करते हुए रिलायंस ने कोर्ट को बताया कि वे और उनके आपूर्तिकर्ता, समर्थन मूल्य या तयशुदा सरकारी मूल्य पर ही किसानों से खरीद पर जोर देंगे। ताकि किसानों को उसकी उपज का बेहतरीन मूल्य मिल सके। कॉरपोरेट या कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए रिलायंस या रिलायंस की सहायक कंपनी ने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से खेती की कोई भी जमीन हरियाणा/पंजाब अथवा देश के किसी दूसरे हिस्से नहीं खरीदी है। न ही ऐसा करने की हमारी कोई योजना है। पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका दायर याचिका में रिलायंस ने शासन से उपद्रवियों द्वारा तोड़फोड़ की गैरकानूनी घटनाओं पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। याचिका में कहा गया है कि उपद्रवियों द्वारा की गई तोड़फोड़ और हिंसक कार्यवाही से रिलायंस से जुड़े हजारों कर्मचारियों की जिंदगी खतरे में पड़ गई है और साथ ही पंजाब और हरियाणा में चलाए जा रहे महत्वपूर्ण कम्युनिकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर, सेल्स और सेवा आउटलेट के रोजमर्रा के कामों में व्यवधान पैदा हुआ है। रिलायंस का आरोप है कि तोड़फोड़ के लिए इन उपद्रवियों को निहित स्वार्थ के कारण उकसाया जा रहा है। किसान आंदोलन को मोहरा बनाकर रिलायंस के खिलाफ लगातार एक कुटिल, दुर्भावनायुक्त और विद्वेषपूर्ण अभियान चलाया है। कृषि कानूनों से रिलायंस का नाम जोड़ने का एकमात्र उद्देश्य हमारे व्यवसायों को नुकसान पहुंचाना और हमारी प्रतिष्ठा को भी धुमिल करना है।

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