NEW DELHI: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को COVID महामारी के दौरान अनाथ हुए बच्चों की सही जानकारी अपलोड नहीं करने को लेकर पश्चिम बंगाल राज्य की खिंचाई की। साथ ही अदालत ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब और पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि अनाथ बच्चों का डेटा अभी तक बाल स्वराज वेबसाइट पर अपलोड क्यों नहीं किया गया है। पश्चिम बंगाल के वकील ने कोर्ट के सामने तर्क पेश किया था कि सही डेटा अपलोड किया गया है और एनसीपीसीआर को भेजा गया है, अदालत ने कहा, “तो आप कह रहे हैं कि पूरे राज्य में केवल 27 बच्चे अनाथ हुए हैं? क्या आंकड़ा सही है?”

सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को लताड़ते हुए कहा कि आप अन्य राज्यों में आंकड़े देख सकते हैं… आपके राज्य के आंकड़े देखकर लगता है कि कोविड आया ही नहीं था।हम इन आंकड़ों पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं। हमें समझ में नहीं आता कि राज्य कैसे नहीं समझता कि क्या किया जाना है। इस संदर्भ में कोर्ट ने बाल अधिकार और तस्करी निदेशालय के सचिव को नोटिस जारी किया। वहीं वकील ने कहा-वेरिफिकेशन प्रोसेस जारी है..। कोर्ट ने कहा-ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयान न दें कि यह एक सतत प्रक्रिया है और आपको सत्यापित करने में वर्षों लगेंगे। बच्चे लाचार रह जाएंगे?”

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कोर्ट ने बंगाल सरकार को आदेश दिया कि राज्य में कोविड-19 के कारण अनाथ हुए सभी बच्चों को पीएम केयर्स फंड से घोषित योजना जैसी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलना चाहिए। सिर्फ महामारी में अनाथ हुए बच्चों को ही इन योजनाओं का लाभ न मिले, बल्कि इनमें उन सभी बच्चों को लाभ दें, जो कोविड-19 के दौरान अनाथ हुए हैं।दरअसल न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने सूचित किया था कि पंजाब, पश्चिम बंगाल और केंद्र शासित जम्मू और कश्मीर जैसे कुछ राज्यों द्वारा अपलोड किए गए अनाथ बच्चों की संख्या के ‘अवास्तविक’ लगते है।

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