सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधिकरणों में नियुक्तियों को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगायी है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को देश भर के विभिन्न न्यायाधिकरणों में नियुक्तियां करने के लिए दो हफ्तों का टाइम और दिया है। सरकार ने कड़ा रुख करते हुए कहा है कि नियुक्ति सही ढंग से की जाए। दरअसल भारत सरकार के एनवी रमना न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की एक विशेष पीठ ने केंद्र द्वारा हाल ही में राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) और आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) में अधिकारियों की नियुक्ति के तरीके पर नाराजगी जाहिर की है।

कोर्ट ने लगाई केंद्र सरकार को फटकार


कोर्ट ने नाराजगी हाजिर करते हुए कहा- दो हफ्तों के बाद नियुक्ति पत्र के साथ लौटें और अगर किसी की नियुक्ति नहीं हुई है तो नियुक्ति नहीं होने का कारण भी बताएं। मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने सुनवाई के दौरान सख्त होते हुए कहा-हम एक लोकतांत्रिक देश हैं। आपको कानून के शासन का पालन करना होगा।उन्होंने कहा-मैंने एनसीएलटी की नियुक्ति देखी है  और सिफारिशें की गईं। लेकिन नियुक्तियों में चेरी पिकिंग यानी चुनिंदा तरीके से काम किया गया है।यह किस तरह का चयन है? और वही काम आईटीएटीके सदस्यों के साथ नियुक्ति के दौरान भी किया गया था।हम इस बात से बहुत नाखुश हैं कि निर्णय कैसे लिए जा रहे हैं।

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11 न्यायिक और 10 तकनीकी सदस्यों में से कुछ की ही हुई नियुक्ति

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और एल नागेश्वर राव ने सुनवाई के दौरान कहा हम चयनित उम्मीदवारों को इग्नोर नहीं कर सकते और प्रतीक्षा सूची में नहीं जा सकते। यह किस प्रकार का चयन और नियुक्ति है? उन्होंने कहा-हम इस बात से बहुत नाखुश हैं कि सिफारिशों पर कैसे कार्रवाई की जा रही है। हमने एनसीएलएटी में न्यायिक सदस्यों के लिए 530  और तकनीकी के लिए 400 से अधिक उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया था जिनमें से 11 न्यायिक सदस्यों और उसी तरह 10 तकनीकी सदस्यों को मंजूरी दी गई है। इनमें से कुछ ही सिफारिशों पर सरकार ने काम किया है बाकी सभी वेटिंग लिस्ट में हैं। ऐसा क्यों। सरकार का नियुक्ति करने का तरीका हमें समझ नहीं आया। हमने इसके लिए पूरे देश की यात्रा की थी। अपना समय बर्बाद किया।

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