Janmashtami 2022: देश दुनिया में इस बार जन्माष्टमी का पर्व 18 अगस्त को मनाया जा रहा हैं। इस दिन मथुरा वृंदावन समेत सभी राज्यों और घरों में तैयारियां जोरों शोरों से की जा रही हैं। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता हैं। यह व्रत बाकी व्रतों की तुलना में काफी कठिन माना गया है। क्योंकि ये व्रत निर्जला व्रत के रूप में रखा जाता हैं। इस दिन कृष्ण के बाल रूप के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा विधि विधान से करने पर फल प्राप्त होता है।

जन्माष्टमी का व्रत

जन्माष्टमी का व्रत पूरे 24 घंटे चलता हैं। यह व्रत इस बार 17 अगस्त की रात 12:00 बजे से शुरू होकर 18 अगस्त की रात को चंद्रमा देखने के बाद उद्यापन होगा। चौबीस घंटों के दौरान कुछ भी खाया पिया नहीं जाता।

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इन चीजों का लगाएं भोग

भगवान श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के मानव अवतार हैं और माता लक्ष्मी भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं। इस प्रकार जन्माष्टमी का पर्व एक तरीके से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता हैं। माता लक्ष्मी को तुलसी अति प्रिय हैं। इसलिए पूरे विधि विधान से तुलसी के पौधे की पूजा की जाती हैं। रात में व्रत खोलते समय कान्हा जी को भोग के साथ-साथ तुलसी के पत्ते जरूर रखें।

माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा

हिंदू धर्म ग्रंथों के मुताबिक जन्माष्टमी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती हैं। माना जाता है कि भगवान विष्णु को कमल के फूल अति प्रिय होते हैं। इसलिए घर के दरवाजों को कमल के फूल से सजाना सर्वोत्तम माना गया है। इन उपायों से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी दोनों अति प्रसन्न होते हैं और घर में धन-धान्य की पूर्ति करते हैं।

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अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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