Lord Shiva: सावन के शुरु होते ही शिव भक्त भगवान शिव की उपासना करना शुरू कर देते हैं। भगवान शिव को धतूरा, भांग और भस्म जैसी अजीब चीजें काफी पसंद है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिन चीजों से एक आम इंसान डरता है वो चीजें महादेव को क्यों पसंद है? क्यों महादेव भूत-प्रेत को अपने साथ रख और गले में सांप के साथ रहते हैं। आज हम आपको इस लेख में बताएंगे पौराणिक कथाओं के मुताबिक क्या है शिवजी के शरीर पर लिपटी भस्म का राज।

क्या है शरीर पर लिपटी भस्म का राज

ऐसा कहा जाता है कि शिवजी के शरीर पर लिपटी भस्म कोई सामान्य भस्म नहीं बल्कि उनकी पत्नी सती की चिता की भस्म है। आपको बता दें, सती की मृत्यु उनके पिता द्वारा भगवान शिव का अपमान करने के पश्चात वहां हो रहे यज्ञ में खुद कूदकर जान देने से हुई थी। यह खबर शिवजी तक पहुंचते ही भगवान शिव अपने आपको रोक नहीं पाए और जलते कुंड में से सती के शरीर को बाहर निकालकर पुरे ब्रह्मांड घूमते रहे।

किसकी है निशानी

कहा जाता है कि जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे वहां शक्तिपीठ स्थापित होती गई, लेकिन फिर भी शिवजी सती को पाने में लग रहे। भगवान शिव का यह हाल देख कर श्री हरी से रहा नहीं गया और उन्होंने सती के शरीर को भस्म में परिवर्तित कर दिया। इसके बाद भगवान शिव ने भस्म को सती की निशानी के रूप में पूरे तन पर लगा लिया था।

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सन्यासी जीवन जीते थे महाकाल

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव एक लोककिक देवता हैं जो सन्यासी वाला जीवन व्यतीत किया करते थे और घर- गृहस्थी का पालन करते हुए मोह-माया से दूर रहते हैं। उनके शरीर पर लिपटी भस्म एक रहस्य यह भी है कि भस्म एक विरक्ति का प्रतीक है वो हम सभी को संदेश देते हैं कि अंत काल में सबने एक भस्म में परिवर्तित हो जाना है।

जहां ब्रह्मा सृष्टि का निर्माण और विष्णु पालन पोषण करते हैं वैसे ही जब भी दुनिया में कोई नकारत्मक ऊर्जा आती है तो भगवान शिव उसे नष्ट कर देते हैं। आपने कई सन्यासी को शरीर पर भस्म लपेटे  हुए देखा होगा क्यूंकि यह न सिर्फ उनका कीटाणु से बचाव करती है साथ ही उनके शरीर को ठण्ड और गर्मी से भी बचाती है।

महाकालेश्वर मंदिर की भस्म प्रथा

उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर पूरी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। पहले यहां पर श्मशान की भस्म से भगवान शिव की आरती की जाती थी लेकिन अब इस परंपरा को रोक दिया गया है। अब महादेव की आरती और श्रृंगार कंडे की भस्म से की जाती है। महाकाल की इस भस्म आरती में कपिला गाय के गोबर से बने उपलों में शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है।

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