Monkeypox Spread: कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है लेकिन एक और महामारी दुनिया को चिंता में डालने के लिये कतार में आ चुकी है। मंकीपॉक्स (Monkeypox) को अमेरिका में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency) घोषित किया जा चुका है, भारत में भी अब तक इसके 9 मामले आ चुके हैं। केरल में यूएई से वापस लौटे युवक की मंकीपॉक्स से हुई मौत इस बीमारी से भारत और एशिया में होनेवाली पहली मौत थी। मात्र 3 महीने में 75 देशों में कोरोना के 18000 से ज्यादा मामले आने के बाद अब यह चिंता सताने लगी है कि कहीं 2020 में कोरोना-काल की तरह यह लॉकडाउन की स्थिति न ले आए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)
खतरे की बात है इसके फैलने की रफ्तार। मंकीपॉक्स का पहला मामला आने के मात्र 3 महीने के अंदर 75 देशों में इसके 18000 से ज्यादा मामलों की पुष्टि हुई है, कोई सामान्य प्रसार नहीं कहा जा सकता। अमेरिका, स्पने और यूके में मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले आ रहे हैं। अफ्रीकी देशों में इससे 75 मौतें भी हो चुकी हैं। अमेरिका के कई राज्यों में इसे स्वास्थ्य महामारी घोषित किया जा चुका है जिसमें न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया जैसे देश भी हैं। यहां न्यूयॉर्क के बाद कैलिफोर्निया में इसके सबसे ज्यादा मामले आये हैं। डब्ल्यूएचओ (WHO) भी बीते 23 जुलाई को इसे ‘वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित कर चुका है।
इसे भी पढ़ें: मंकीपॉक्स और कोरोनावायरस में अंतर, जाने जरूरी बातें
महामारी का इतिहास
कोरोना से पहले भी विश्व ने महामारी का एक लंबा इतिहास देखा है – 1918 से 1920 के बीच स्पैनिश फ्लू(Spanish Flu); 1961 में हैजा (Cholera Pandemic); 1968-1969 के बीच फ्लू महामारी (Flu Pandemic); 1974 चेचक महामारी (Smallpox Epidemic); 1994 में भारत के सूरत (Surat) में प्लेग (Numonic Plague) का प्रसार। अपने-अपने समय में ये भी बेहद घातक और जानलेवा साबित हो चुके हैं। हैजा ने कई-कई गाँवों को एकसाथ समाप्त कर दिया था। पर हाँ कोविड-काल की तरह तब घरों में कैद होने की नौबत नहीं आई थी, या शायद आज की सुपर-टेक्नोलॉजी से लैस दुनिया का एक छोटी सी बीमारी से घरों में कैद हो जाने का वाकया उससे बड़ा सदमा बना है, जो हर सोच से कहीं बहुत परे, अविश्वसनीय सी जान पड़ती थी। ऐसे में वह कहावत यहां चरितार्थ होने लगी है – दूध का जला, छाछ ङी फूंक-फूंककर पीता है।
2014 में स्वाइन फ्लू (Swine Flue) और इबोला के दस्तक ने पूरी दुनिया को डराया था, पर वह कोरोना की तरह घातक नहीं साबित हुए और नियंत्रित हो गये थे। अफ्रीका और उससे सटे देशों में इबोला का प्रसार जिस प्रकार हो रहा था, विश्व स्वास्थ्य संगठन के लिये महामारी की चिंता पैदा हुई थी लेकिन कुछ समय बाद उसके नियंत्रण में आ जाने से स्थिति सामान्य हो गई। 2020 में कोविड के समय यही ‘इबोला’ एक गलत उदाहरण बन गया कि जैसे इबोला शुरुआत में डरा रहा था पर फैला नहीं, कोरोना भी वैसा ही रहेगा। दुनिया ने कोविड के प्रसार को बहुत हल्के में लिया और डबल्यूएचओ ने भी इसे आपदा और महामारी घोषित करने में वक्त लगा दिया। परिणाम किसी से छुपा नहीं है। अब यह उदाहरण आने वाले वर्षों में दुनिया को हर छोटे-बड़े वायरस का आना ‘कोरोना की तरह न बन जाये’ का डर दिखाता रहेगा।
वायरस जनित रोगों का फैलाव अधिक होता है, यह सामान्य बात है और इससे होने वाली मौतें भी सामान्य बात हैं। कोविड से पहले भारत भी डेंगू-चिकुनगुनिया जैसी वायरस जनित बीमारियों से पिछले कई वर्षों से लगातार जूझता आ रहा है, इसकी मौतें भी देखता आ रहा है, लेकिन क्यों इसने विश्व-स्तर पर फैलाव नहीं किया, तो इन बीमारियों को लेकर उस हद तक डर नहीं पनपा जिस हद तक कोविड और अब मंकापॉक्स के लिये।
अनियंत्रित प्रसार का डर भी चिंता का सबब
यह बीमारी न सिर्फ 2020 के कोरोना काल की याद दिलाने लगा है, बल्कि एक डर यह भी होने लगा है कि कहीं एड्स की तरह यह भी सामाजिक-प्रतिष्ठा का सबब न बन जाये। मंकीपॉक्स का प्रसार बढ़ने के साथ ही बीच में यह खबर भी तेजी से फैली कि मंकीपॉक्स सेक्स संबंधों से भी फैलता है, खासकर समलैंगिक यौन संबंधों में इसका फैलाव ज्यादा होता है। हालांकि हाल में डबल्यूएचओ ने ये साफ कर दिया कि मंकीपॉक्स संक्रमित किसी भी मरीज के संपर्क में आने पर यह दूसरे को हो सकता है, लेकिन अगर लोगों के जेहन में कहीं भी यह बात रही, तो इसका संक्रमण अनियंत्रित रूप से बढ़ सकता है। बीमारी पर काबू पाने के लिये संक्रमितों के आंकड़े और पूरी सावधानी के साथ उसके सही ईलाज की आवश्यकता होगी। ऐसे में अगर एड्स की तरह यह लोगों के लिये शर्मिंदगी का कारण बना, तो बीमारी खत्म तो नहीं होगी, छुपकर पनपेगी और अनियंत्रित हो जाये तो कोई आश्चर्यनक बात नहीं होगी।
2020 से पहले यह सोचना भी हास्यासपद होता कि कभी एक दिन के लिये भी पूरी दुनिया अपने घरों में कैद रह सकती है, लेकिन 2020 ने वो दिन दिखाए कि दिनों में क्या, महीनों तक घरों में बंद रहना भी आम बात बन गई। घरों में कैद लोग कोरोना की जकड़न से निकले की अभी कोशिश की कर रहे होते हैं कि कोविड का कोई नया वैरिएंट आ जाता है और केसेज बढ़ जाते हैं। अब जब लोग इसको सामान्य बात मानकर अपनी नॉर्मल लाइफस्टाइल में जाने की कोशिश कर रहे थे थे कि अचानक से यह मंकीपॉक्स पूरी दुनिया को अपनी आँखें दिखाने लगा है। कोविड खत्म हुआ नहीं, लेकिन उसके साथ यह भी जिस तेजी से फैला है और फैल रहा है, लोगों में यह डर आना लाजिमी है कि कहीं फिर से घरों में कैद न कर दे यह मंकीपॉक्स।
देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें। आप हमें FACEBOOK, INSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो पर सकते हैं।