बंगाल की गायिका संध्या मुखर्जी के बाद भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता और पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य ने पद्म भूषण पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया है। भट्टाचार्य ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि मैं इस पुरस्कार के बारे में कुछ नहीं जानता। इस बारे में मुझे किसी ने कुछ नहीं बताया। अगर उन्होंने मुझे पद्म भूषण देने का फैसला किया है, तो मैं इसे स्वीकार करने से इनकार करता हूं..मुझे इसे लेकर कुछ नहीं बताया गया। हालांकि केंद्र का दावा है कि उनके घर फोन करके इस बारे में सूचित किया गया था। उस वक्त पुरस्कार को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई गई थी।

कौन हैं बुद्धदेव भट्टाचार्य

बुद्धदेव भट्टाचार्य बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जब तक वो राजनीतिक में रहे तब कर उन्होंने मोदी सरकार की जमकर आलोचना की थी। हालांकि खराब तबीयत के चलते उन्होंने राजनीति से संन्यास ने लिया था। उन्होंने 2000 से 2011 तक पश्चिम बंगाल की कमान संभाली थी। बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को उत्तर कोलकाता में हुआ था।भट्टाचार्य साल 1966 में सीपीएम से जुड़े थे… वो माकपा की यूथ विंग डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन के राज्य सचिव भी रहे थे। बंगाल में उन्हें औद्योगिकीकरण का मुख्यमंत्री के नाम से भी जाना जाता है।

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कौन हैं संध्या मुखर्जी


संध्या मुखर्जी बंगाल की फेमस गायिका रही हैं। उन्होंने कई सदाबहार बंगाली और हिंदी गानों को अपनी आवाज दी है। उन्होंने शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल की। उनके गुरु उस्ताद बड़े गुलाम अली खान थे। उनके जाने के बाद उन्होंने उनके बेटे उस्ताद मुनव्वर अली खान से शिक्षा ली थी।संध्या ने अपने करियर की शुरुआत हिंदी गानों से की।  उन्होंने 17 हिंदी फिल्मों में गाने गाए। उन्होंने तराना फिल्म से अपनी गायकी की शुरुआत की। संध्या को 60 और 70 के दशक की सबसे मधुर आवाज माना जाता है। उन्होंने हजारों बंगाली और गैर-बंगाली गाने गाए हैं जो आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं।

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