हिंदुस्तान में मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. हाल ही में देश भर में कई जगहों पर मॉब लींचिंग की घटनाएं हुई हैं. पहले मध्यप्रदेश, फिर राजस्थान और अब उत्तर प्रदेश में भी ऐसी घटनाएं दर्ज की गई हैं। इन घटनाओं की शुरुआत इंदौर से हुई थी, जहां नाम बदलकर चूड़ी बेचने वाले की भीड़ ने जमकर पिटाई की थी। इसके बाद एक-एक कर ऐसे मामले सामने आने लगे। ताजा मामला मथुरा का है, जहां एक मुस्लिम युवक ने विकास बाजार में डोसा का ठेला ‘श्रीनाथजी’ के नाम पर लगा लिया। इस पर लोगों ने दुकानदार से अपशब्द कहे और उस पर लगे बैनर फाड़ दिए। मामला जरूर 18 अगस्त का है, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद रविवार को मामले की शिकायत की गई। आज के समय में मार डालने वाली यह भीड़ हीरो बनकर उभरी है.

  • इंडियास्पेंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2012 से 2019 में अब तक सामुदायिक घृणा से प्रेरित ऐसी 128 घटनाएं हो चुकी हैं जिनमें 47 लोगों की मृत्यु हुई है और 175 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.
  • इंडियास्पेंड की ही एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक एक जनवरी, 2017 से पांच जुलाई, 2018 के बीच दर्ज 69 मामलों में केवल बच्चा-चोरी की अफवाह के चलते 33 लोग भीड़ द्वारा मारे जा चुके हैं और 99 लोग पीट-पीटकर गंभीर रूप से घायल किए जा चुके हैं.
  • भारत के राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो (एनसीआरबी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2001 से 2014 तक देश में 2,290 महिलाओं की हत्या डायन होने की आशंका में पीट-पीटकर की गई. इनमें 464 हत्याएं अकेले झारखंड में हुईं. ओड़िशा में 415 और आंध्र प्रदेश में 383 ऐसी हत्याएं हुईं. राजधानी दिल्ली से सटे अपेक्षाकृत एक छोटे राज्य हरियाणा में 209 ऐसी हत्याएं हुईं. ध्यान रहे कि डायनों की हत्याएं प्रायः अंधविश्वासी और भयभीत ग्रामीणों की भीड़ या सुनियोजित जनसमूह द्वारा ही की जाती हैं.
  • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि मई 2015 और दिसंबर 2018 के बीच 100 से भी ज्यादा घटनाएं हुईं, जिनमें कम से कम 44 लोगों को भीड़ ने मिल कर मार दिया और करीब 280 लोग घायल हो गए. मरने वालों में से 36, यानी करीब 82 प्रतिशत मुसलमान थे. दिल्ली के पास दादरी में सितंबर 2015 में 52 वर्षीय व्यक्ति मोहम्मद अखलाक की हत्या ने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरी.

हाल-फिलहाल की घटनाएं

28 अगस्त – उज्जैन, मध्यप्रदेश

  • उज्जैन में एक कबाड़ी वाले से जबरन जय श्रीराम का नारा लगवाने का मामला सामने आया। गांव के कुछ युवकों पर जय श्रीराम के नारे लगवाने का आरोप है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में कुछ युवक एक कबाड़ी वाले से जबरन जय श्रीराम का नारा लगाने के दबाव बना रहे हैं। पुलिस ने दो युवकों को गिरफ्तार कर लिया है।

26 अगस्त – देवास, मध्यप्रदेश

  • इंदौर में कुछ दिन पहले चूड़ी विक्रेता की पिटाई का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि मध्यप्रदेश के देवास जिले में दो लोगों ने सड़क पर टोस्ट बेचने वाले एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई कर दी। देवास जिले में दो लोगों ने सड़क पर टोस्ट बेचने वाले 45 वर्षीय मुस्लिम व्यक्ति की कथित तौर पर पिटाई कर दी क्योंकि वह अपनी पहचान साबित करने के लिए उन्हें आधार कार्ड नहीं दिखा सका। पुलिस ने 26 अगस्त इस घटना के बारे में जानकारी दी।

22 अगस्त – इंदौर, मध्यप्रदेश

  • इंदौर शहर में 22 अगस्त को नाम बदलकर चूड़ियां बेचने वाले 25 वर्षीय युवक पिटाई का मामला सामने आया था। आरोप है कि तस्लीम अली का नाम पूछ कर उसे पीटा गया। मामले में नया मोड़ उस वक्त आ गया, जब युवक के खिलाफ एक युवती ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया। पुलिस ने पॉक्सो एक्ट की गंभीर धाराओं में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया। इतना ही नहीं युवक के पास से दो आधार कार्ड भी मिले, दोनों पर उसका नाम अलग-अलग दर्ज है।

20 अगस्त – अजमेर, राजस्थान

  • कुछ दिन पहले एक वीडियो सामने आया था, इसमें कुछ लोग एक युवक की पिटाई कर रहे हैं और उससे पाकिस्तान जाने के लिए कह रहे हैं। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस हरकत में आई। पुलिस का कहना है कि यह वीडियो 20 अगस्त का है, इसमें पांच लोगों को हिरासत में लिया गया है। युवती ने 19 अगस्त को अपने परिजनों को आपबीती सुनाई और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस के मुताबिक, घटना रामगंज थाना क्षेत्र के सुभाष नगर की है। जांच में सामने आया कि पीड़ित युवक राजस्थान का रहने वाला नहीं था, वह किसी और राज्य से यहां आया था। यहां कुछ लोगों ने उसके साथ मारपीट की। वीडियो में देखा जा सकता है कि युवक को कई लोग घेर कर खड़े हैं, उसमें से एक उससे पाकिस्तान जाने के लिए कह रहा है।

19 अगस्त – आगर मालवा, मध्यप्रदेश

  • आगर मालवा जिले के सुसनेर में ‘लव जिहाद’ का मामला सामने आया। इरफान नामक युवक ने अपना नाम बदलकर एक हिंदू लड़की को अपने चंगुल में फंसाया और फिर उससे शादी कर ली। शादी के बाद आरोपी व उसके परिजन युवती पर धर्म बदलने के लिए दबाव डालने लगे। पुलिस के अनुसार आरोपी इरफान ने 24 वर्षीय युवती को अपना नाम रोहन बताया था। युवती जिले के शुजालपुर की रहने वाली है। इसी साल फरवरी में उसने जबरन निकाह रचाया था और इसके बाद उसका नाम आलिया रख दिया। युवती ने एफआईआर में इरफान व उसके परिजनों द्वारा मुस्लिम धर्म अपनाने का दबाव बनाने के लिए मारपीट का आरोप लगाया है।

18 अगस्त – मथुरा, उत्तर प्रदेश

  • बीते दिन उत्तर प्रदेश के मथुरा में ऐसा ही एक मामला सामने आया। यहां शरारती तत्वों ने एक मुस्लिम युवक के विकास बाजार में श्रीनाथ डोसा के नाम से लगने वाले ठेले पर जाकर उससे हिंदू नाम से ठेला न लगाने की बात कही। मामला बढ़ा तो शरारती तत्वों ने दुकानदार से अपशब्द कहे और उस पर लगे बैनर फाड़ दिए। सीओ सिटी वरूण कुमार ने बताया कि पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है। शहर कोतवाली में इरफान पुत्र कलूआ निवासी मोहल्ला तकिया सदर बाजार ने अज्ञात के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई है।

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मॉब लिंचिंग से हुई मौत की कुछ चर्चित घटनाएं

  • 28 सितम्बर 2015 को यूपी के दादरी में मोहम्मद अखलाक की मौत से मॉब लिंचिंग शुरु हुई थी.
  • सात जून 2019 को जमना टाटी और अजय टाटी नामक दो हिंदुओं की असम में भीड़ ने हत्या कर दी.
  • नवंबर 2017 को दिल्ली-शामली के बीच ट्रेन में भी भीड़ ने की थीं चार हत्याएं.

सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हर नागरिक के जीवन की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है. संविधान के अनुच्छेद 21 में हर नागरिक को जीवन का अधिकार मिला हुआ है और कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के बिना किसी के जीवन को छीना नहीं जा सकता है.

सिर्फ न्यायालय ही दे सकता है सजा…अगर कोई व्यक्ति किसी मामले में आरोपी है, तो उसको सिर्फ कोर्ट ही न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए दोषी ठहरा और सजा दे सकता है. अदालत के सिवाय किसी अन्य व्यक्ति या संस्था या समूह को किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति को दोषी ठहराने और सजा देने का अधिकार नहीं है. अगर कोई व्यक्ति, समूह या संगठन ऐसा करता है, तो वह अपराध है, जिसके लिए उसको सजा भुगतनी होगी.

क्या है मॉब लिंचिंग पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन…साल 2018 में तहसीन पूनावाला केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग रोकने के लिए गाइडलाइन जारी की थी. ये गाइडलाइन केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों के लिए जारी की गई है.

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी राज्य सरकारें अपने यहां भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति करें, जो पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी होना चाहिए.
  • पुलिस अधिकारी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 129 में दी गई शक्तियों का इस्तेमाल कर भीड़ को तितर-बितर करने का प्रयास करें.
  • केंद्रीय गृह विभाग भी मॉब लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकारों के बीच तालमेल बैठाने के लिए पहल करे.
  • पुलिस को मॉब लिंचिंग के लिए भड़काने या उकसाने के लिए मैसेज या वीडियो को फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए समेत अन्य संबंधित कानूनों के तहत एफआईआर दर्ज करें और कार्रवाई करें.
  • अगर तमाम कोशिशों के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाएं होती हैं, तो संबंधित इलाके के पुलिस स्टेशन बिना किसी हीलाहवाली के फौरन एफआईआर दर्ज करें.
  • राज्य सरकार ऐसी योजना तैयार करें, जिससे मॉब लिंचिंग के शिकार लोगों को सीआरपीसी की धारा 357A के तहत मुआवजा देने की व्यवस्था की जाए.
  • ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए हर जिले में फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाई जाएं, जहां पर ऐसे मामलों की सुनवाई रोजाना हो सके और ट्रायल 6 महीने के अंदर पूरा हो सके.
  • मॉब लिंचिंग के आरोपी को जमानत देने से पहले पीड़ितों की सुनें बात
  • अगर कोई अधिकारी अपनी ड्यूटी निभाने में विफल रहता है या फिर मामले में समय पर चार्जशीट फाइल नहीं करता है, तो उसके खिलाफ डिपार्टमेंटल एक्शन लिया जाना चाहिए.

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