देश में मुसलमानों के सबसे बड़े संगठन पर्सनल लॉ बोर्ड की इस बैठक में मुस्लिम समाज से जुड़े मसलों पर चर्चा हुई। इस दौरान बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने अफसोस जताते हुए कहा कि मुसलमानों ने इस्लाम धर्म को नमाज तक ही सीमित कर दिया और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की जा रही है। शादियों में दहेज देने के बजाए लड़किओं को प्रॉपर्टी में उसका असल हक दिया जाएं।

मुस्लिम बोर्ड ने दहेज प्रथा खत्म करने के लिए मुसलमानों से की अपील

बताते चलें कि इस्लाम में दहेज लेना और देना दोनों की मनाही है। इसके बावजूद भारत में मुसलमानों के यहां भी शादियों में दहेज का चलन है। लड़की को उसकी शादी के अवसर पर क्या दहेज के तौर पर कुछ दिया जाना चाहिए? यह मसला हर दौर में बहस का मुद्दा रहा है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कई बार दहेज को गैर-इस्लामिक करार दे चुका है। लेकिन फिर भी यह रीत-रिवाज खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। यही वजह है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दहेज प्रथा को पूरी तरह से बंद करने के लिए मुसलमानों से अपील की है।

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शहर से लेकर गांव-गांव तक बने कमेटी

जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि दहेज के बढ़ते चलन को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाना अति आवश्यक है, क्योंकि शरीयत में सादगी से निकाह करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए जरूरी है कि शहर-शहर और गांव-गांव ऐसी कमेटियां बनाई जाए जो लोगों को महंगी और खर्चीली शादियों के खिलाफ जागरूक कर सकें।

शिक्षित करने के लिए महिला समिति बने

सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि शादी को सुविधाजनक बनाने के लिए सामाजिक दबाव बनाया जाना चाहिए और महिलाओं को शिक्षित करने के लिए एक महिला समिति का गठन किया जाना चाहिए। इस अभियान को समर्थन देने के लिए जमात-ए-इस्लामी इंडिया मौजूद है। हजरत मौलाना अब्दुल्ला ने सुझाव दिया कि विवाह समारोह को सरल तरीके से करने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जमीयत उलेमा इस संबंध में अपना पूरा समर्थन देंगे।

मुस्लिम हलाल और हराम का रखे ध्यान

इस्लाम धर्म जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करता है, इसलिए मुसलमानों को हर क्षेत्र में हलाल और हराम का ध्यान रखना चाहिए। खास कर मुस्लिम समाज में लोग सुन्नत तरीके से शादी करें। इस्लाम को सिर्फ नमाज तक सीमित नहीं रखना चाहिए। इस्लामी शरीयत को बदनाम किया जा रहा है।

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