एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी। भले ही तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए कहा गया हो लेकिन किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों का धरना अभी भी जारी रहेगा। घोषणा के बाद हर किसी को लगा था कि अब किसान आंदोलन खत्म कर देंगे लेकिन ऐसा नहीं है। मीडिया से बात करते हुए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को खत्म करने की घोषणा सिर्फ टीवी पर हुई है। अगर कल बातचीत करनी पड़े तो किससे करेंगे? क्या किसानों से राय लेना जरूरी नहीं।

शहद से मीठे हुए प्रधानमंत्री


मीडिया से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को इतना मीठा भी नहीं होना चाहिए। 750 किसान शहीद हुए, 10 हजार मुकदमे हैं।  बगैर बातचीत के कैसे उन मुद्दों को सुलझाया जा सकता है। प्रधानमंत्री ने इतनी मीठी भाषा का उपयोग किया कि शहद को भी फेल कर दिया। हलवाई को तो ततैया भी नहीं काटता। वो ऐसे ही मक्खियों को उड़ाता रहता है। उन्होंने आगे कहा कि जो मीठी भाषा का इस्तेमाल हो रहा है, उसको बातचीत में डाल दो। क्या उन्होंने चुनावों को देखते हुए कानून वापसी का ऐलान किया है? क्या ये राजनीति का हिस्सा नहीं है। अचानक कानूनों को वापस लेने की वजह आखिर क्या है.. प्रधानमंत्री ने एक दम से झटका मारा है….अपने लोगों से भी सलाह नहीं लेते वे तो…उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ा दो बस..।

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आंदोलन खत्म करने पर अभी कोई फैसला नहीं


आंदोलन खत्म करने के सवाल पर राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग आज सिंघु बॉर्डर पर होगी। जिसमें एमएसपी, गारंटी कानूनों को लेकर बातचीत होगी। इस मुद्दों पर हल निकालने के बाद ही आंदोलन पर फैसला लिया जाएगा। आज भी प्रदेश में आधे दाम में फसल बेची जा रही है। अभी अभी स्वामीनाथन कमेटी पर बात होनी बाकी है। 

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