Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट पर पेंडिंग मामलों का बहुत ज्यादा बढ़ने के कारण अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने चिंता जाहिर की है। जनरल ने सर्वोच्च न्यायालय से इस अतिरिक्त बोझ को हटाने के लिए राष्ट्रीय अपील न्यायालय की स्थापना की जाने की वजह बताई है। 73वें संविधान दिवस समारोह के दौरान अटॉर्नी जनरल ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका डालने की आदत का विरोध किया है। अटॉर्नी जनरल का कहना है कि “सुप्रीम कोर्ट को छोटे मामलों की अदालत में बदलना बंद होना चाहिए। हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर अपीलों का एक बड़ा हिस्सा संविधान पीठ के समक्ष विचाराधीन है।”

याचिकाओं का अतिरिक्त बोझ ना डालें- अटॉर्नी जनरल

अटॉर्नी जनरल ने सरकार से ज्यादा बोझ ना डालने की अपील की। उन्होंने कहा कि “सरकार को सुप्रीम कोर्ट पर ज्यादा याचिकाओं का अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहिए। हाई कोर्ट से मामलों को निर्बाध और विशाल प्रवाह के लिए अंतिम वैधानिक अपीलों को दायर किया जाना बंद होना चाहिए। हम राष्ट्रीय अपील न्यायालय पर अपने विचार रखते हैं या नहीं, जो अकेले ही सर्वोच्च न्यायालय में काम के प्रवाह को रोक सकता है। इसके अलावा हमें उच्च न्यायालय को मजबूत करने और उनमें भीड़भाड़ कम करने की जरूरत है।”

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सरकार मुकदमे बाजी की नीति अपनाने के लिए रोड मैप तैयार करें

मुकदमे भाजी बनाने की नीति पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि “अगर सरकार मुकदमे बाजी की नीति अपनाने के लिए रोड मैप तैयार करती है तो सुप्रीम कोर्ट के बोझ को कम किया जा सकता हैं। इसके अलावा लंबे समय से ही सरकारें मुकदमेबाजी की नीति पर बात कर रही है। यह नीति क्यों नहीं उभर सकती। इसका कोई कारण नहीं मिला।” इसी बीच पेंडिंग मामलों पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी चिंता जाहिर की थी। उन्होंने पेंडिंग मामलों को खत्म करने के लिए सभी बेंच को रोजाना 10 वैवाहिक मामले और 10 जमानत याचिकाओं से जुड़े मामलों पर सुनवाई करने का आदेश दिया और इस मामले में अटॉर्नी जनरल का साथ मिला है।

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