अगले साल 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं और पांचों में से उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की जीत का ताज हर पार्टी अपने सिर पर सजाना चाहती हैं। उत्तर प्रदेश में पहले से ही सभी पार्टियां अपना दमखम दिखा रही हैं लेकिन अब उत्तराखंड में भी पार्टियों ने अपना दम झोंकना शुरू कर दिया है। उत्तराखंड में भी अगले साल चुनाव हैं और चुनावों के ऐलान से पहले ही पार्टियां लोगों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर उतर चुकी हैं। बीजेपी तो पहले से ही चुनाव का रथ पूरे उत्तराखंड में लेकर घूम रही है। वहीं कांग्रेस भी लोगों तक पहुंच बढ़ाने के लिए सक्रिय हो चुकी है। हालांकि इस बार प्रदेश में बसपा की सक्रियता कम देखने को मिल रही है जिसका सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को होता दिख रहा है।

कांग्रेस को मिल सकता है फायदा


पहले हर बार बसपा उत्तराखंड में मजबूती से खड़ी होती थी और तराई वाले क्षेत्रों पर पार्टी का दबदबा होता था लेकिन इस बार पार्टी की कम सक्रियता कांग्रेस को फायदा पहुंचा सकती है। बता दें कि उत्तराखंड में बीजेपी के बाद कांग्रेस और बसपा ही दो बड़ी पार्टियां हैं। तराई क्षेत्र में दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं की तादाद अच्छी खासी है जो बसपा की समर्थक रही हैं। लेकिन इस बार बसपा पार्टी चुनाव नजदीक आने के बाद भी अभी तक खुलकर मैदान में नहीं उतरी है। हरिद्वार और उधमसिंह नगर की 16 विधानसभा सीटों पर बसपा का दबदबा रहा है। साल 2002 में बसपा ने तराई वाले क्षेत्रों में ही 7 सीटें जीती थी।

यह भी पढ़े: Up Assembly Election: यूपी सरकार के खिलाफ प्रियंका गांधी का बयान, कहा बच्चों के इंस्टाग्राम अकाउंट भी हैक करवाती है सरकार

कम हो रही बसपा की सक्रियता


वहीं 2012 आते-आते पार्टी सीटों पर सिकुड़ती चली गई। साल 2012 के चुनाव में बसपा को यहां सिर्फ तीन सीट मिली थी। प्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि बसपा की कम सक्रियता का सीधा फायदा उनकी पार्टी को होगा। ऐसी स्थिति में कांग्रेस और भाजपा का सीधा मुकाबला होने की संभावना बन सकती है। खैर ये तो आगे आने वाला समय बताएगा कि पार्टी को इसका सबसे ज्यादा लाभ पहुंचेगा।

देश और दुनिया की तमाम खबरों के लिए हमारा YouTube Channel ‘DNP INDIA’ को अभी subscribe करें।आप हमें FACEBOOKINSTAGRAM और TWITTER पर भी फॉलो पर सकते हैं

Share.
Exit mobile version