बिहार में पहले चरण के लिए चुनाव का शोर सोमवार शाम 5 बजे थम चुका है। सभी पार्टियों ने पूरी कोशिश कर ली है। अब बारी है तो बिहार के मतदाताओं की। 28 अक्टूबर को बिहार में पहले चरण के लिए वोटिंग होगी। पहले चरण के रण के लिए बिहार तैयार है। 16 जिले की 71 सीटों पर 1,065 उम्मीदवारों की किस्मत पर जनता अपना फैसला देगी। पहले फेज में 2 करोड़ 14 लाख 6 हजार 96 मतदाता नेताओं के भाग्य का फैसला EVM में कैद करेंगे। हालांकि इनमें कौन जीत की माला पहनेगा, यह तो दस नवंबर को मतगणना के दिन ही तय होगा। अगर पहले चरण में होने वाले मतदान की बात करें तो पटना जिले की 5, भागलपुर की 2, भभुआ, रोहतास, बक्सर, भोजपुर, औरंगाबाद, नवादा, गया, जमुई, बांका, जहानाबाद, अरवल, नवादा और शेखपुरा जिलों में मतदान होगा। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है।

पहले चरण के दिग्गज

पहले चरण में राज्य सरकार के आठ मंत्रियों समेत कई दिग्गज मैदान में हैं, जिनके भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो जाएगा। इस चरण में जिन दिग्गजों के भाग्य का फैसला होना है, उनमें शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, कृषि मंत्री प्रेम कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री शैलेश कुमार,विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री जय कुमार सिंह, राजस्व मंत्री रामनारायण मंडल, श्रम संसाधन मंत्री विजय कुमार सिन्हा, खनन मंत्री बृजकिशोर बिंद और परिवहन मंत्री संतोष कुमार निराला शामिल हैं। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व मंत्री विजय प्रकाश, श्रेयसी सिंह, अनंत सिंह, राजेंद्र सिंह, रामेश्वर चौरसिया और भगवान सिंह कुशवाहा मैदान में हैं।

मतदाताओं को ‘पटाने’ में कौन पास ?

बिहार विधानसभा के पहले चरण के लिए प्रचार का शोर भले ही थम चुका हो लेकिन पूरे प्रचार के दौरान लोकल फॉर वोकल से हटकर केंद्रीय मुद्दे जमकर हावी रहे। धारा 370 हो या चीन या फिर सैनिकों का बलिदान सभी पार्टियों ने जमकर सियासत की। पहले चरण के रण को जीतने के लिए प्रचार के आखिरी दिन भी स्टार प्रचारकों ने पूरी जान लगाई। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा औरंगाबाद में गरजे और NDA प्रत्याशी के लिए वोट मांगे। इस दौरान उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार के फैसलों की जमकर तारीफ की और विरोधियों पर निशाना भी साधा। एक बार फिर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। धारा 370 का जिक्र किया साथ ही कांग्रेस को पाकिस्तान का वकील करार दिया।

किसकी ताकत को बल ?

बिहार में यह तो तय है कि NDA के मुखिया नीतीश कुमार ही हैं। राज्य की चौथी बार सत्ता हासिल करने के लिए चुनाव लड़ रहे नीतीश कुमार का सुशासन बाबू का टैग और उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है। नीतीश के लिए चुनौती तेजस्वी यादव हैं। यह ही वजह है कि वो हर रैली में RJD को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते। पहले चरण के प्रचार के आखिरी दिन भी RJD पर नीतीश जमकर बरसे और अपनी सरकार की उपलब्धियों के सहारे वोट तलाशते नजर आए।

बिहार में अबकी बार किसकी सरकार ?

इस बार के चुनाव में चिराग पासवाल की पार्टी LJP किंगमेकर की भूमिका में नजर आ सकती है। चिराग पासवान के रवैये को देखकर ये समझा जा सकता है कि वो नीतीश कुमार को अपना दुश्मन नंबर 1 मानते हैं। इस बीच चिराग पासवान ने ये खुला ऐलान कर दिया है कि लोजपा सत्ता में आई तो नीतीश कुमार जेल में होंगे। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी उटापटक अपने चरम पर है। 28 अक्टूबर को पहले चरण का मतदान है। बिहार में अबकी बार किसकी सरकार बनेगी इस सवाल का जवाब तो 10 नवंबर को ही मिलेगा। क्योंकि इस बार के चुनाव कयासों से बिल्कुल हटकर है। बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार का समीकरण हर किसी की समझ से परे है।

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