कर्नाटक में सरकारी कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर विवाद काफी बढ़ गया है। विवाद बढ़ने पर यह मामला हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास सुनवाई के लिए पहुंच चुका है। हिजाब एक भावनात्मक मुद्दा है जो भाजपा को यूपी चुनाव में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने में मदद कर सकता है।

सांप्रदायिक आधार पर वोट

भाजपा को एक ऐसे मुद्दे की जरूरत थी जिससे राज्य की एक बड़ी आबादी सांप्रदायिक आधार पर वोट करती थी। राज्य में हिंदू मतदाता भ्रमित है। वह यह तय करने में समर्थ नहीं है की बढ़ती कीमतों, युवा बेरोजगारी, कृषि में गिरती आय और किसानों के मुद्दे के सामने धार्मिक भावनाओं को प्राथमिकता दी जाए या नहीं। भाजपा की तरह विपक्ष पार्टी को भी ऐसे मुद्दे की जरूरत थी।

मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। इस मुद्दे को सोशल मीडिया के साथ-साथ हाईकोर्ट और संसद में भी उठाया गया है। पुट्टूस्वामी हिंदुत्व के पैरोकार निजात के अधिकार और किसी की पोशाक चुनने के मौलिक अधिकार से परेशान नहीं है। 8 पार्टियों के विपक्षी सांसदों ने कहा है कि हिजाब पहनना कोई अपराध नहीं है। इस तरह देश में डर का माहौल बनाया जा रहा है।

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भगवा पार्टी को 40 फ़ीसदी वोट

भाजपा पार्टी के लिए पश्चिमी यूपी बेहद जरूरी है। क्योंकि 2017 में हुए चुनावों में भगवा पार्टी को 40 फ़ीसदी वोट मिले थे। जबकि पश्चिमी यूपी में उनका वोट शेयर 44.14 फीसदी था। इसके बाद 2019 में आम चुनावों में बीजेपी का वोट शेयर 50 फीसदी था और पश्चिम यूपी में यह 52 फ़ीसदी था।

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी के अलावा समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय लोक दल द्वारा गठबंधन बनाए गए ओबीसी जाट जाति के एकीकरण को तोड़ने की आवश्यकता है। इसके विपरीत मुस्लिम वोटों को गठबंधन को समर्थन देने से रोकना होगा। पश्चिमी यूपी के 26 जिलों में 136 सीटें है, जहां मुस्लिम आबादी 26% से ज्यादा है।

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