केरल में 140 विधानसभा सीटों पर 6 अप्रैल को वोटिंग है और 2 मई को नतीजे आएंगे उससे पहले सभी पार्टियों ने कमर कसी हुई है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है। लेकिन कांग्रेस को लगातार नुकसान हो रहा है। कांग्रेस के साथी हाथ छोड़कर दूसरी पार्टियों की तरफ दौड़ रहे हैं। सोमवार को एक बार फिर कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इस बार कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष केसी रोसकुट्टी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। इससे पहले केरल महिला कांग्रेस की अध्यक्ष लतिका सुभाष ने टिकट नहीं मिलने के बाद अपने पद से इस्तीफा देने का एलान किया था। वहीं पार्टी के सीनियर नेता पीसी चाको ने कांग्रेस छोड़ दिया था। वे पार्टी में गुटबाजी से नाराज चल रहे थे। बाद में वे एनसीपी में शामिल हो गए।

केरल में 2016 चुनाव का गणित

अब केरल का किंग कौन होगा ये तो 2 मई को ही पता चल पाएगा। लेकिन, अगर बात पिछले चुनाव की करें तो एलडीएफ को 91 और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी यूडीएफ को 47 सीटें मिली थीं। वहीं साल 2016 के विधानसभा चुनाव में 98 सीटों पर चुनाव लड़कर बीजेपी को एक सीट पर जीत हासिल हुई थी और एक सीट अन्य के खाते में गई थी। पिछले चुनावों में उम्मीदवारों की बात करें तो सीपीआई ने 25 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। सीपीएम ने 84 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 58 सीटों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने 87 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 22 सीटों पर जीत दर्ज की थी। एनसीपी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था और दो पर कामयाबी हासिल की थी। इंडियन यूनियन मुस्मिल लीग यानी आईयूएमएल ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 18 पर जीत हासिल की थी। जबकि जेडीएस को पांच में से तीन पर जीत मिली थी।

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