भले ही उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अभी कुछ वक्त है, लेकिन सियासी रंग ने यूपी को अपने रंग में रंगना शुरू कर दिया है और फिलहाल सियासी रंग यूपी के एक खास जगह पर ज्यादा की गहरा चढ़ता दिख रहा है वो सीट है पूर्वांचल, क्यों है पूर्वांचल की सीटें इतनी अहम और क्या कुछ है उन सीटों को जीतने की पार्टियों की रणनीति विस्तार से बताते हैं।

पूर्वांचल में बढ़ी सियासी हलचल

उत्तर प्रदेश के राजदरबार का दरवाजा पूर्वांचल से खुलता है, ऐसा राजनीतिक हलकों में कहा जाता है। यही वजह है कि पूर्वांचल की सियासी बिसात पर अभी से गोटियां बिछने लगी हैं। पूर्वांचल के कुशीनगर, काशी, देवरिया, महाराजंगज, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीर नगर, गोरखपुर में सियासी हलचल इसी की एक रणनीति है। गोरखपुर मुख्यमंत्री का क्षेत्र है, इसलिए इस क्षेत्र में सभी दलों का फोकस भी अधिक है। गृहमंत्री अमित शाह भी चुनावी अभियान को धार देने में लगे हैं। इस दौरान उन्होंने पहले की सरकारों को आड़े हाथों भी लिया है और साथ ही BJP कार्यकर्ताओं को अमित शाह ने गुरु मंत्र भी दिया है। वहीं अखिलेश यादव सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर में हुंकार भर रहे हैं। चुनावी माहौल के बीच हर पार्टी ने पूर्वांचल में अपनी ताकत झोंक दी है। सियासी वार पटलवार के बीच ये समझने की जरूरत है कि आखिर पूर्वांचल की पॉलिटिक्स यूपी के चुनाव में हर पार्टी के लिए इतनी अहम क्यों हैं और क्यों हर पार्टी के दिग्गज बार-बार पूर्वांचल में डेरा डाल रहे हैं।

पूर्वांचल पर बीजेपी की सबसे बड़ी रणनीति

सबसे पहले बात बीजेपी के अमित शाह की, चुनावों की रणनीति बनाने के लिए अमित शाह का लोहा माना जाता रहा है और फिर 2017 में राज्य विधानसभा चुनावों की रणनीति बनाने का ये परिणाम हुआ कि बीजेपी ने अपने सभी विपक्षी दलों का सफ़ाया कर दिया। 2014 के लोकसभा चुनाव में बतौर पार्टी के महासचिव अमित शाह ने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के लिए चुनावों की रणनीति की कमान संभाली थी और जब इसके परिणाम सामने आए तो बीजेपी ने राज्य की 80 में से 73 सीटों पर जीत हासिल कर ली। लखनऊ के दौरे के दौरान अमित शाह ने कहा था, मोदी जी को यदि 2024 में एक बार फिर पीएम बनाना है, तो 2022 में फिर एक बार योगी जी को मुख्यमंत्री बनाना पड़ेगा। शाह का दौरा चुनावी रणनीति के हिसाब से इसलिए भी अहम हैं क्योंकि ये इलाक़ा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा की बीजेपी यूपी में ये दिल मांगे मोर की रणनीति पर काम कर रही है।

किसका होगा पूर्वांचल, कौन मारेगा बाजी ?

एक तरफ गृहमंत्री अमित शाह यूपी की सियासी गर्माहट नापने पूर्वांचल के काशी और अखिलेश यादव के सांसदीय क्षेत्र आजमगढ़ पहुंचे हैं। तो वहीं, सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव सीएम योगी के गढ़ गोरखपुर में सेंधमारी करने की तैयारी में हैं। बात केवल आज की नहीं है, बल्कि आने वाले दिनों में भी एक ही दिन अलग-अलग जिलों से दोनों बीजेपी और सपा एक दूसरे से टक्कर लेते नजर आने वाले हैं। 13 नवंबर के बाद 16 नवंबर को जब पीएम मोदी और सीएम योगी पूर्वांचल को साधते हुए यूपी को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का तोहफा देने वाले हैं, तो वहीं उसी दिन अखिलेश गाजीपुर में विजय रथ के जरिए पूर्वांचल में पार्टी की बिसात मजबूत करेंगे। 2017 में बीजेपी ने पूर्वांचल की सीटों पर बढ़त बना ली जो सपा और बसपा का गढ़ माना जाता था। यूपी के पूर्वांचल में 28 जिलों की 164 विधानसभा सीटें है। 2017 से पहले तक पूर्वांचल सपा का गढ़ माना जाता था। 2017 में बीजेपी को पूर्वांचल की 28 जिलों की 164 विधानसभा सीट में से 115 सीटें मिली थीं। अब मुख्यमंत्री और बीजेपी संगठन इस रिकॉर्ड को कायम रखना चाहते हैं। वहीं अब सपा अपनी खोयी जमीन वापस पाने की जुगत में लगी है। बहरहाल अब देखते बनेगा की पूर्वांचल किसके पाले में गिरता है।

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