अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। भारतीय जनता पार्टी और संघ के नेताओं ने इसके लिए चंदा मांगना भी शुरू कर दिया है। बताया गया है कि अब तक मंदिर के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का चंदा इकट्ठा हो चुका है। इस बीच मुरादाबाद से समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने राम मंदिर को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यूपी में राम मंदिर के लिए चंदा जुटा रहे लोगों पर भाजपा पत्थरबाजी करा सकती है, ताकि वह आगामी चुनावों में फायदा उठा सके। वैसे तो एसटी हसन का विवादों से पुराना नाता है। एक बार फिर इन्होंने राम मंदिर निर्माण को लेकर जहर उगला है। मंदिर निर्माण के चंदे से एस टी हसन साहब को चिढ़ मची हुई है। प्रभु राम पर एक बार फिर सपा की हिन्दू-मुस्लिम सियासत शुरु हो चुकी है। ये विवादित बोल मिशन 2022 के लिए हैं। एसटी हसन राम मंदिर निर्माण के लिए दान अभियान को लेकर BJP पर हमलावर थे। इस दौरान उन्होंने प्रभु राम के बहाने एक बार फिर हिन्दू-मुस्लिम किया और देश में नफरत फैलाने की कोशिश की। बीजेपी पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि, राम मंदिर बनाने के लिए चंदा लेने निकले लोगों पर कुछ बिके हुए मुसलमानों से पथराव करा देंगे और दंगा करवा देंगे। पथराव के बाद बाकी मुसलमानों का क्या हश्र होगा। इसका उदाहरण मध्य प्रदेश में आपने देखा होगा।

नफरत की बोली से मिलेंगे वोट ?

स्वामी विवेकानंद जयंती के मौके पर समाजवादी पार्टी की तरफ से युवा घेरा कार्यक्रम का आयोजन मुरादाबाद सांसद एसटी हसन के आवास पर किया गया था। एसटी हसन कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राम मंदिर पर नया विवाद खड़ा कर दिया। साथ ही सांसद ने कहा कि धर्म की राजनीति करने से रोजी रोटी नहीं मिल सकती है। उन्होंने अपने बयान में तीन तलाक और धारा 370 का भी जिक्र किया। कार्यकर्ताओं को बीजेपी से सचेत रहने की नसीहत दी। सपा सांसद एसटी हसन के बयान पर सपा चारों तरफ से घिर चुकी है। बीजेपी ने अखिलेश यादव को आड़े हाथों लेते हुए राम मंदिर पर अपना रूख साफ करने की मांग की है। वहीं कांग्रेस ने एसटी हसन के बयान की निंदा की है और सपा पर धुर्वीकरण का आरोप लगाते हुए बयान को समाज के लिए घातक बताया।

मंदिर बहाना…देश में नफरत फैलाना !

समाजवादी पार्टी हमेशा से अयोध्या में श्री राम मंदिर बनने का विरोध करती रही है। मुलायम सिंह की हिन्दुत्ववादी संगठन और कई लोग आलोचना भी करते आए हैं। क्योंकि जब 2 नवंबर, 1990 को अयोध्या में कारसेवकों ने रैली की थी, तब उन्होंने पुलिस को गोली चलाने का आदेश दिया था। जिसमें कई कारसेवकों की भी मौत हो गई थी। उस समय मुलायम सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अब जबकि अयोध्या में रामलला के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया और राम मंदिर निर्माण के लिए तेजी से काम हो रहा है तो सपा को प्रदेश में अपनी डूबती राजनीतिक नैय्या को बचाने के लिए प्रभु श्रीराम के सहारे की जरूरत पड़ रही है। लेकिन एसटी हसन के बयान के बाद एक बार फिर अखिलेश यादव घिर चुके हैं। और राम मंदिर के मुद्दे पर वोट के खातिर नफरत राजनीति शुरु हो गई है।

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