कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो तो हर राह आसान हो जाती है। बस इरादों में दम होना चाहिए फिर आपकी कमजोरी भी आपकी ताकत बन जाती है। आपके हौसलों के आगे हर मुश्किल राह आसान हो जाती है। इंसान के इरादे और हौंसले ही उसकी ताकत होती है। अगर दुनिया से कुछ अलग करने की इच्छा हो तो आपको अपने सपनों को खुली आंखों से देखने की जरूरत है। कुछ ऐसा ही जुनून बुलंदशहर के बादल तेवतिया में भी है। वह कई अवार्ड के साथ ही रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं। आज उनकी आसमान से ऊंची उपलब्धियों और आने वाले कल के सपनों के बारे में सबकुछ बताएंगे। अपनी दौड़ के दम पर उत्तर प्रदेश का कई बार नाम रोशन करने वाले धावक बादल तेवतिया के बारे में जानकर आप दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे।

स्वतंत्रता दिवस…8 घंटे में 74 किलोमीटर

बादल तेवतिया बुलंदशहर के किसौली गांव के रहने वाले हैं और बेसिक विभाग में शिक्षक के पद पर अलीगढ़ के खैर ब्लाक के नगलिया साहब सिंह प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं। बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ कुछ नया करने की ठान चुके बादल तेवतिया ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर रन टू फीड फाउंडेशन और साइ-रनस ग्रुप द्वारा आयोजित व‌र्ल्ड रिकार्ड रनिग में हिस्सा लिया और आठ घंटे में 74 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर बुलंदशहर जिले का नाम रोशन किया। दरअसल, रेस का आयोजन पांच श्रेणियों में किया गया था। इसमें 2.5, 10, 21.1, 42.2 और 74 किलोमीटर की वर्चुअल रेस शामिल थीं। धावक बादल तेवतिया बुलंदशहर से सिकंदराबाद यहां से खुर्जा और अन्य रास्तों से होते हुए 74 किलोमीटर की दूरी तय कर वापस यमुनापुरम में आए। जीपीएस को मोबाइल से कनेक्ट कर रेस की निगरानी की गई।

अल्ट्रा मैराथन में दूसरा स्थान

एक बार नहीं कई बार बादल तेवतिया ने देश के कई राज्यों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अब आपको इसी साल मई के महीने में लेे चलते हैं जब राजस्थान में अल्ट्रा मैराथन का आयोजन किया गया। यहां बादल तेवतिया ने 54 किलोमीटर की दौड़ में दूसरा स्थान प्राप्त किया। 12 मई को इंडियन मैराथन संस्था ने अल्ट्रा मैराथन प्रतियोगिता का आयोजन कराया था। इसमें कई प्रदेश के धाकड़ धावकों ने अपना दम दिखाया। 12 मई की सुबह तीन बजे 54 किलोमीटर की प्रतियोगिता शुरू हुई। जिसे बादल तेवतिया ने मात्र 5 घंटे 14 मिनट में पूरा किया। इस दौरान मौसम ने उनके कदम रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और मंजिल की ओर बढ़ते हुए मुकाम हासिल करके सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

नाखून उखड़ गए…लक्ष्य से नजर नहीं हटी

1 फरवरी 2020, जगह- चंडीगढ़ के ताऊ देवीदयाल स्टेडियम । 15 अगस्त और अल्ट्रा मैराथन के बाद आपको अब हम थोड़ा और पीछे फरवरी के महीने में लेे चलते हैं। यहां भी बादल तेवतिया ने 24 घंटे स्टेडियम रन प्रतियोगिता में कीर्तिमान स्थापित किया। 24 घंटे की दौड़ में बादल तेवतिया ने 205.20 किमी की दूरी तय कर उत्तर प्रदेश का नाम रौशन किया। 24 घंटे यानी 1 से 2 फरवरी को रन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। रिकॉर्डतोड़ दौड़ के बाद बादल तेवतिया ने जो बताया उसे सुनकर आप उनके हौसलों को सलाम जरूर करेंगे। उन्होंने कहा 19 किमी दौड़ने के बाद असहनीय दर्द झेलना पड़ा, यहां तक की दोनों पैरों के नाखून भी उखड़ गए, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लक्ष्य को पूरा किया। इस जीत के बाद जिले में वापस लौटने पर बादल तेवतिया का जोरदार स्वागत किया गया।

बादल तेवतिया…जून हरिकेन विजेता

एक के बाद एक कई प्रतियोगिता में विजेता रहे बादल तेवतिया ने पिछले साल 2019 में भी बहुत बड़ा नया रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने राजस्थान में हुई दौड़ प्रतियोगिता में 1955 किलोमीटर की दौड़ लगाकर जून हरिकेन नामक खिताब अपने नाम किया। दरअसल, 1 से 30 जून तक इनसेप रनर्स क्लब द्वारा बीट हीट चैलेंज-2019 दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस दौरान वह लगातार 30 दिन तक दौड़े। बीच में आराम कर औसतन 65 किलोमीटर प्रति दिन दौड़ लगाई। आयोजकों ने जीपीएस के माध्यम से दूरी मापी तो उन्होंने एक महीने में कुल 1955 किलोमीटर की दूरी तय की। इसके चलते आयोजित समिति ने उन्हें जून हरिकेन खिताब से सम्मानित किया।

गोल्ड मेडल का सपना…मदद ना मिलने का मलाल

कुछ अलग करने के लिए हौसला जरूरी है। हौसले की उड़ान की बदौलत हम न सिर्फ कुछ नया कर सकते हैं बल्कि वे सब कुछ हासिल कर सकते हैं जिसे हम पाना चाहते हैं। क्योंकि कुछ अलग करने का जज्बा जिनमें होता है, वो ही अपना नाम दुनिया में कर जाते हैं। कुछ ऐसा ही जुनून बादल तेवतिया में भी है। यह अभी तक आप समझ गए होंगे, अब उनकी मंशा है कि वह एक दिन भारत का नाम विश्व पटल पर स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कराएं, लेकिन उन्हें मलाल है कि आज तक स्थानीय प्रशासन और शासन ने उन्हें कभी खेल के लिए प्रोत्साहित नहीं किया। मतलब अपने ही जिले में उन्हें सम्मान नहीं मिल रहा है। इसके अलावा जिले में दौड़ समेत कई खेलों के लिए मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। उनका मानना है कि सरकारी मदद मिल जाए तो गोल्ड मेडल जीतकर विश्व में नाम जरूर कमाएंगे।

Share.
Exit mobile version