अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद 33 प्रांतों में कम से कम 318 मीडिया आउटलेट बंद कर दिए गए हैं। अफगान मीडिया समुदाय की स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए आईएफजे (IFJ) का कहना है कि केवल 2334 पत्रकार ही सत्ता में अपना काम कर रहे हैं। आईएफजे के मुताबिक 72 फ़ीसदी पत्रकार महिलाएं ऐसी हैं जो अपनी नौकरी खो चुकी हैं। सिर्फ 243 महिलाएं ही मीडिया में काम कर रही हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक तालिबानी सत्ता स्थापित होने के बाद 51 टीवी स्टेशनों, 132 रेडियो स्टेशनों और 49 ऑनलाइन मीडिया आउटलेट्स का काम बंद हो गया है। तालिबान सत्ता के बाद न्यूज़पेपर पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है। 144 में से केवल 20 समाचार पत्रों का ही प्रकाशन किया जा रहा है। आईएफबी महासचिव एंथोनी बेलांगर का कहना है कि रिपोर्टिंग पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई है। पत्रकारों की स्थिति अब ज्यादा ही दयनीय हो गई है।

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तालिबान के आने के बाद स्थिति उन नागरिकों के लिए विनाशकारी है जिन्हें सूचना तक पहुंच से वंचित किया जा रहा है। अफगान मीडिया समुदाय ने तालिबान से मीडिया को सूचना तक पहुंच बनाने में मदद करने की अपील की। अफगान इंडिपेंडेंट जर्नलिस्ट एसोसिएशन के प्रमुख हुजतुल्लाह मुजादीदी का कहना है कि अगर देश में मीडिया की स्थिति के लिए जल्द ही कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले भविष्य में अफगानिस्तान में कुछ चुनिंदा मीडिया संगठन ही रहेंगे।

अफगानिस्तान पत्रकार परिषद के प्रमुख हाफिजुल्ला का कहना है कि हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मौजूद अफगान स्थिति में सूचना तक पहुंच की प्रक्रिया की रक्षा के लिए मीडिया में निवेश करने की गुहार लगाते हैं। इसके अलावा कुछ पत्रकारों ने अफगान मीडिया समुदाय के पतन पर ध्यान देने के लिए भी गुहार लगाई है। यदि मीडिया संगठन पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे तो मीडिया अपना काम करना बंद कर देंगे। पत्रकार नसीम का कहना है कि अफगान मीडिया पर गंभीरता से विचार करने की अपील की जा रही है। इसके अलावा हम सरकार से सूचना तक पहुंच में मीडिया की सहायता करने की गुहार लगाते हैं।

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