China: चीन की कमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग को मिलने से भारत और चीन के संबंधों में फिर से कड़वाहट देखने को मिली है। जानकारों का मानना है कि शी जिनपिंग की जो महत्वाकांक्षा है वह भारत और चीन के संबंधों को नहीं सुधार सकती। इस समय चीन की नजर भारत के राजनीतिक, हालातों, आर्थिक प्रगति तथा सेना की मजबूती जैसे कदमों पर रहेगी। शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल में एक बड़ी चुनौती यह भी है कि इस बार उनकी टीम में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। टीम में नए लोगों को शामिल किया गया है, इसमें ज्यादातर जिनपिंग की पार्टी के लोग ही शामिल है।

भारत एक बड़ी चुनौती

नई टीम में स्वतंत्र लोग नहीं शामिल किए गए इसलिए उनका भारत के प्रति क्या रुख रहता है यह देखना भी मुश्किल होगा। अब आशंका जताई जा रही है कि इसका रुख नकारात्मक भी हो सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था इस समय तेजी से आगे बढ़ रही है इसलिए चीन को लगता है कि भारत आगे उसके लिए एक चुनौती बनकर खड़ा हो सकता है। इसी प्रकार सैन्य ताकत बढ़ाने में भी भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में सैनिकों के जरिए भारत ने चीन की जबरदस्त गिरा बंदी की। इसलिए भारत की तरफ से चुनौतियां चीन को परेशान करती नजर आई हैं।

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वर्चस्व कायम करना चाहता चीन

बता दे कि अभी हाल ही के वर्षों में चीन ने बड़ी सैन्य ताकत के रूप में अपनी पहचान बनाई। जबकि भारत लगातार उसके मंसूबों पर पानी फेरने की कोशिश करता आया है। शी जिनपिंग चाहते हैं कि वह पहली अर्थव्यवस्था बनें। इसके साथ वे समूचे क्षेत्र में अपना वर्चस्व भी काम करना चाहते हैं।

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अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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