पाकिस्तान में इमरान खान की सत्ता जा चुकी है। ऐसे में पाकिस्तान को अब नए और 23वे प्रधान मंत्री के रुप में अब शहबाज शरीफ मिल चुके है। सत्ता जाने के बाद पहली बार इमरान खान का बयान आया है। जिसमें उन्होंने बड़ी बात कह दी है। इमरान खान ने ट्वीट करते हुए कहा है कि, 1947 में पाकिस्तान एक स्वतंत्र देश बना लेकिन, स्वतंत्रता संग्राम सत्ता परिवर्तन की एक विदेशी साजिश के ख़िलाफ़ आज फिर से शुरू हुआ है। यह हमेशा देश के लोग होते हैं, जो अपनी संप्रभुता और लोकतंत्र की रक्षा करते हैं।इसके साथ इमरान खान ने कहा कि, उन्होंने राष्ट्रपति अल्वी को ‘असेंबली’ को भंग करने की सलाह दी थी।क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान ने कहा, ‘चुनाव की तैयारी करें। कोई भी भ्रष्ट ताकत तय नहीं करेगी कि मुल्क का भविष्य क्या होगा। जब असेंबली भंग हो जाएंगी तो अगले चुनाव और कार्यवाहक सरकार की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस दौरान उन्होंने कहा कि मेरे एक्शन ने विपक्ष को चौंका दिया। उन्होंने आगे कहा कि अगर मैं अपने इस एक्शन के बारे में कल खुलासा कर दिया होता वे इतने परेशान नहीं होते। इमरान खान ने संबोधन के दौरान ‘विदेशी साजिश’ के दावे को दोहराया। उन्होंने कहा कि कहा कि मैंने बताया था कि घबराने की जरूरत नहीं है।इमरान खान ने हमारी सरकार के खिलाफ सजिश रची गई।विपक्ष को समझ नहीं आ रहा है कि हुआ क्या है।

पाकिस्तान में लंबी सियासी उठा पटक के बाद आखिरकार इमरान खान को सत्ता से हाथ धोने ही पड़ गए, तमाम कोशिश करने के बाद भी इमरान खान पाकिस्तान में अपने प्रधानमंत्री पद की कुर्सी बचाने में नाकामयाब रहे ।जिससे विपक्ष ने इमरान खान पर हमला बोला और विश्वास प्रस्ताव में इमरान खान सही मत नहीं जुटा पाए, जिसके बाद इमरान खान को प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा। उनकी जगह प्रधानमंत्री के रूप में शहबाज शरीफ पाकिस्तान के नए पीएम बनने जा रहे हैं। शहबाज शरीफ नवाज शरीफ के छोटे भाई हैं और मरियम शरीफ के चाचा हैं। नवाज शरीफ भले ही जेल की हवा खा रहे हो ,लेकिन अब पाकिस्तान की सत्ता एक बार फिर से उनके ही खानदान के हाथ में है। ऐसे में इमरान खान का पत्ता तो साफ हो चुका है लेकिन 2018 से 2022 तक पाकिस्तान के जो हालात रहे हैं वह बेहद खराब रहे हैं। जिसके कारण शरीफ की सियासी राह इतनी आसान नहीं होगी जितनी कही जा रही है। शहबाज शरीफ के प्रधानमंत्री बन जाने से पाकिस्तान के साथ-साथ भारत और पूरे विश्व पर इसका असर देखने को मिलेगा इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि 1947 के बाद से पाकिस्तान को अब तक 22 प्रधानमंत्री मिले हैं लेकिन हैरानी की बात यह है कि इन 22 प्रधानमंत्रियों में से किसी ने भी अभी तक अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है ऐसा ही इमरान खान के साथ हुआ और ऐसा ही शहबाज शरीफ की स्थिति को देखकर भी लग रहा है बात अगर भारत की करें तो पाकिस्तान का असर भारत की सियासत पर कितना पड़ता है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि सत्ता परिवर्तन तो पाकिस्तान में हो रहा था और उसी कवरेज पूरी तरह से हिंदुस्तान में बड़ी ही प्रमुखता से दिखाई जा रही थी।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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