रमजान के आज 29 रोजे मुकम्मल हो गए हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि आज माहे शव्वाल यानी ईद का चांद का नज़र आ सकता है लेकिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई जगहों पर चांद का दीदार नहीं हुआ. ऐसे में अब 14 मई को ईद मनाई जाएगी और 13 मई को रमजान का 30वां रोजा रखा जाएगा.मरकजी चांद कमेटी फरंगी महली ने ऐलान करते हुए बताया कि कल तीसवां रोज़ा रखा जायेगा और शुक्रवार यानी 14 तरीक को ईद मनाई जायेगी.

बता दें कि सऊदी अरब में ईद का चांद नजर नहीं आया.सामान्य तौर पर सऊदी में चांद नजर आने के दूसरे दिन भारत में चांद रात की परंपरा रही है। उस लिहाज से भारत में शुक्रवार को ईद होगी।

राजधानी दिल्ली की बात करें तो यहाँ पर भी ईद का चाँद नज़र नहीं नज़र आया। ईद के चाँद को लेकर शाही इमाम बुखारी ने साफ कर दिया है कि शुक्रवार को ईद मनाई जायेगी

कोरोना की वजह से रंग में भंग:

कोरोना काल में ईद का रंग थोड़ा फीका है, क्योंकि पाबंदियों की वजह से सड़कों और बाजार में पहले जैसी रौनक नहीं है। साथ ही कोरोना के खतरे को देखते हुए मुस्लिम समुदाय ऐहतियात भी बरत रहा है।कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरूओं ने ईद के पर्व को सादगी से मनाने की अपील की है। धर्मगुरूओं ने कोरोना के प्रभाव को कम करने और चैन तोड़ने के लिए इस बार फोन पर मुबारकबाद और घरों में ईद की नमाज अदा करने का ऐलान किया है। साथ ही प्रशासन से जारी दिशा-निर्देशों का पालन करने की अपील की है

मुस्लिम धर्म गुरूओं की अपील:

कुछ मुस्लिम धर्म गुरूओं ने इस्लामी बयानो का हवाला देते हुए ये भी बताया है कि यह इन्सानियत पर मुसीबत का दौर है लोगों की जाने जा रही है सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करे भीड़ से बचें ।उन्होंने कहा ईद की नमाज हर साल अदा की जाती है लेकिन अल्लाह पाक ज़िन्दगी मौत सिर्फ एक बार देता है पैगम्बर मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.व.) ने वबा और मुश्किल वक़्तों में घर में नमाज़ अदा करने को कहा था।। ऐसे मे लोगों से घर मे ही नमाज़ अदा करने की अपील की है।

हालांकि इस बीच ये भी खबरें आ रही थी की कोरोना के चलते मस्जिद बिल्कुल बंद कर दी जायेगा।लेकिन सरकार की तरफ से जारी गाइड लाइन के मुताबिक मुफ़्ती अरिफ काज़मी साहब ने ये साफ कर दिया है कि मस्जिद मे चार से पांच लोगो को नमाज़ पढ़ने की इजाज़त होगी। जमा मस्जिद सहित कुछ बड़ी मस्जिद मे चार पांच लोग नमाज़ अदा कर पाएंगे

ईद का इतिहास: मक्का से मोहम्मद पैगंबर के प्रवास के बाद पवित्र शहर मदीना में ईद-उल-फितर का उत्सव शुरू हुआ। माना जाता है कि इस दिन पैगम्बर हजरत मुहम्मद ने बद्र की लड़ाई जीती थी। इस जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा करवाया गया, इसी कारण इस दिन को मीठी ईद या ईद उल फितर के रुप में मनाया जाता है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार हिजरी संवत 2 यानी 624 ईस्वी में पहली बार ईद-उल-फितर मनाया गया था।

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