थाईपुसम तमिलनाडु में अत्यंत श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाया जाने वाला त्योहार है। इस दिन भक्त दूध,फल और फूलों के साथ भगवान मुरुगन के मंदिर में जाते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। कहा जाता है, इस त्योहार को मनाने से कष्टों से मुक्ति मिलती है।

थाईपुसम त्योहार आज पूरे तमिलनाडु में मनाया जा रहा है। थाईपुसम भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को समर्पित त्योहार है। जिन्हें भगवान मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है। आज तमिलनाडु में अवकाश घोषित किया गया है। मुख्यमंत्री एडप्पडू के पलानीस्वामी ने 5 जनवरी 2020 को तमिलनाडु सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर एक प्रेस अधिसूचना जारी की थी। जिसमें उन्होंने हर साल 28 जनवरी को थिपुसुम को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह आने वाले वर्षों के लिए राज्य के लिए एक आधिकारिक अवकाश बन जाएगा।इस साल पुसम नक्षत्र 28 जनवरी को सुबह 3 बजकर 49 बजे शुरू हुआ और 29 जनवरी को 3 बजकर 51 बजे समाप्त होगा, और ये इस त्योहार को मनाने का सही समय माना गया है। इस दिन भक्त लोग एक अर्ध-वृत्ताकार लकड़ी का वाहक बनाते हैं जो भगवान मुरुगन को चढाया जाता है।आपको बता दें, श्रद्धा और भक्ति के साथ कावड़ी को ले जाने पर नाचने की रस्म को कवाड़ी अट्टम कहा जाता है।

थाईपुसम त्योहार श्रीलंका, मलेशिया, मॉरीशस, सिंगापुर और इंडोनेशिया देशों में मनाया जाता है।थाईपुसम त्योहार भगवान मुरुगन या कार्तिकेय से संबंधित है। पुराणों के अनुसार, एक बार सोपुरदमन नामक एक दुष्ट असुर ने स्वर्ग को जीत लिया और सभी देवों या देवताओं को बंधक बना लिया था। जिसके बाद देवताओं ने भगवान शिव से मां देवी पार्वती से उन्हें छुड़ाने की प्रार्थना की। जिसके बाद ने भगवान शिव से मां देवी पार्वती के पुत्र ने सोर्पोरदमन का अंत किया। । मुरुगन ने असुरों के साथ लड़ाई की और पवित्र भाले के साथ सोर्पोरदमन को मार डाला था।

इसीलिये इस दिन लोग भगवान मुरुगन की जीत का जश्न मनाते हैं और लावड़ी अट्टम जैसे धार्मिक अनुष्ठान करते हैं और भगवान को प्रार्थना और प्रसाद भी चढ़ाते हैं। इस दौरान भक्तजन कुछ ऐसे रीति-रिवाज का पालन करते हैं जिन्हें देखकर आपकी रूह कांप जाएगी। इस दौरान रथ यात्रा निकाली जाती है। जिसमें भक्त अपने शरीर मे कई सारे हुक और सुईं चुभाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि, भक्त सुईं अपने चेहरे के आर-पार कर लेते हैं। इस त्योहार की तैयारियां काफी दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। इसके लिए भक्त 48 दिन का उपवास और पूजा-पाठ करते हैं। कई श्रद्धालु कांवड़ लेकर चलते हैं। इनकी कांवड़ अलग-अलग तरह की बनी ही होती हैं। दक्षिण भआरत में इस त्योहार को बहुत उल्लास से मनाया जाता है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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