Financial Crisis: भारत (India) समेत दुनिया में लगातार बढ़ती महंगाई (inflation) ने हर देश की अर्थव्यवस्था को तोड़कर रख हुआ है। ऐसे में मई में अमेरिका (US) में महंगाई दर में एक बार फिर इजाफा होने का असर अमेरिकी शेयर बाजारों (American stock markets) के साथ-साथ भारतीय बाजार (Indian market) पर भी बढ़ा है।
यहां महंगाई दर दिसंबर 1981 के बाद से सबसे तेज गति से बढ़ी है। मुद्रास्फीति दर में इस बढ़ोतरी के बार फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में एक और वृद्धि की संभावना भी बढ़ गई है और इसका असर निवेशकों की धारणाओं पर पड़ा है।
रूस और यूक्रेन युद्ध का असर
वहीं, दुनिया में रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने भी काफी प्रभाव डाला है। रूस के यूक्रेन पर हमले की वजह से वैश्विक आर्थिक मंदी का खतरा दुनिया भर में मंडराने लगा है, क्योंकि युद्ध के चलते खाद्य सामग्री, ऊर्जा और खाद के दामों में तेजी से उछाल आ रहा है।
लगातार गिरता रुपया
इसके साथ ही भारत की मुद्रा का स्तर लगातार गिर रहा है। भारतीय रुपया अपने सर्वकालिक स्तर के निचले स्तर पर पहुंच गया है। अमेरिका डॉलर के मुकबले रुपया में लगातार गिरावट से भारतीय बाजार में हाहाकार मचा हुआ है। एक डॉलर की मुकाबले रुपया 79 के स्तर जा पहुंचा है।
चीन में कोरोना का प्रकोप फिर शुरु
इसके अलावा दुनिया में कोरोना का ग्राफ एक बार फिर बढ़ने लगा है। इसका सबसे अधिक असर चीन पर पड़ा है। चीन में कोरोना महामारी के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगे है। चीन की राजधानी बीजिंग में सबसे अधिक आबादी होेने से अधिक कोहराम मच रहा है। ऐसे में चीन में लॉकडाउन जैसे हालात एक बार फिर दिखने लगे है। इसके साथ ही देश की विकास की गति को भी प्रभावित किया है।
जीडीपी में निगेटिव ग्रोथ रेट
देश के केंद्रीय बैंक ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ब्याज दरों को बढ़ाया है। बैंक के इस फैसले से काफी असर पड़ा है। ऐसे में जो चीज़ हमारा इंतज़ार करती हुई दिख रही है, वो है मंदी। आर्थिक मंदी यानी आर्थिक गतिविधियों में कमी आ जाना और जिसका नतीजा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में निगेटिव ग्रोथ रेट के रूप में देखने को मिलता है।
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