अभी जब श्रीलंका अपने वित्तीय संकंटों से जूझ रहा है और इसका चाय निर्यात बाधित हुआ है, ऐसे में कुछ समय पूर्व तक इसे भारत के लिये चाय निर्यात में अपनी स्थिति मजबूत करने का सबसे अच्छा अवसर माना जा जा रहा था। पर आज स्थिति उलट हो गई है।

Indian Tea Leaves Business: विश्व में भारत चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है और विश्व का चौथा सबसे बड़ा चाय निर्यातक देश भी। चाय के उत्पादन में जहां पहले नंबर पर चीन आता है, वहीं चाय के निर्यातक देशों में श्रीलंका का पहला स्थान रहा है। इसलिये, अभी जब श्रीलंका अपने वित्तीय संकंटों से जूझ रहा है और इसका चाय निर्यात बाधित हुआ है, ऐसे में कुछ समय पूर्व तक इसे भारत के लिये चाय निर्यात में अपनी स्थिति मजबूत करने का सबसे अच्छा अवसर माना जा जा रहा था। पर आज स्थिति उलट हो गई है, निर्यात बढ़ाना तो दूर, आशंका यह पैदा हो रही है कि कहीं इसके निर्यात में कमी न आ जाये और इसकी वजह विश्व-बाजार में भारतीय प्राकृतिक उत्पादों की छवि भी खराब कर सकता है।

क्या है पूरा मामला?

पिछले कुछ समय से आर्थिक समस्याओं से जूझते हुए श्रीलंका के चाय-उत्पादन पर भी बड़ा फर्क पड़ा। देश में बिजली की समस्या होने के कारण श्रीलंका का चाय उत्पादन तेजी से घटा और इसके साथ ही इसके निर्यात में भी कमी आई। बता दें कि भारत चाय में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के साथ-साथ चाय का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी है। हालांकि इसके पास इतनी क्षमता है कि यह इतना बड़ा उपभोक्ता होने के बावजूद चाय का निर्यात बढ़ा सकता है। इसके बावजूद इसका पड़ोसी देश श्रीलंका पहले नंबर पर है क्योंकि विश्व-बाजार में श्रीलंका की चाय की कीमत भारतीय चाय के मुकाबले बेहद कम है। ऐसे में एक ओर जहां भारत श्रीलंका को उसके आर्थिक संकट के समय में मदद की भी कोशिश कर रहा है, वहीं चायपत्ती के निर्यात में बढ़त पाने की कोशिश कर रहा था।

2019 के एक आंकड़े के अनुसार तुर्की से श्रीलंका का 167 मिलियन डाॅलर का चाय का व्यापार है। वहीं रूस को यह 132 मिलियन डाॅलर, ईरान को 75 मिलियन डाॅलर, ईराक को 104 मिलियन डाॅलर और चीन को 55 मिलियन डाॅलर का चाय निर्यात करता है। श्रीलंका में आए आर्थिक संकट के कारण यह व्यापार बाधित हुआ। भारत इस व्यापार को अपने खाते में जोड़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन कई देशों ने भारतीय चाय को यह कहते हुए लौटा दिया कि इसमें कीटनाशक की मात्रा अधिक पाई गई।

भारतीय चाय-उत्पादकों के लिये जहाँ ये एक बड़ा झटका था, वहीं विश्व-बाजार में भारतीय उत्पादों की छवि खराब होने की आशंका भी इसे पैदा होता है।

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भारतीय चाय निर्यातक संघ (ITEA) के अध्यक्ष अंशुमान कनोरिया के अनुसार वेदेशी बजारों ने सारे ऑर्डर कैंसल कर दिए हैं और जिन माल की डिलीवरी हो चुकी थी, वो सभी कर वापस कर दिया गया है। इससे भारतीय चाय उत्पादकों को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि जब श्रीलंका में वित्तीय-संकट आया था, तब से भारतीय उत्पादकों के पास अच्छा मौक़ा था अपना बाजार स्थापित करने का, लेकिन कीटनाशक और केमिकल केे कारण सिर्फ निराशा ही सामने आयी है।

शिपमेंट में हो रही है लगतार गड़बड़ी,मामला आया सामने

बातों के दौरान कनोरिया ने कहा कि चाय एक पेय-पदार्थ है और ज्यादातर ग्राहक वही चाय खरीद रहे हैं जिसमें केमिकल की मात्रा अधिक है। हालांकि चाय निर्यात बोर्ड, सामग्री को सही करने की कोशिश कर रहा है और अब चायपत्ती का निर्माण FSSAI केे मापदंड केे अनुसार ही होगा, लेकिन जितने भी आर्डर की डिलीवरी की गई थी सभी वापस आ रही है जिससे भारी नुकसान हुआ है।

FSSAI के नियम से अधिक कठिन हैं यूरोपीय यूनियन

FSSAI के नियमों के अनुसार अधिक कठिन है ईरान और कॉमनवेल्थ इंडिपेंडेंट स्टेट्स नेशन भारत के पुराने ग्राहक रहें हैं, जिसमे भारत ने पिछले वर्ष यानि 2021 में 195.90 मिलिया किलो का उत्पादन किया, लेकिन यूरोपीय यूनियन ने इस वर्ष 300 मिलियन चाय खरिदनें का लक्ष्य रखा हैं, कनोरिया नें कहा कि इतना कठिन नियम होने के बाबजुद भारत सारे नियमों का पालन कर रहा हैं।

बार बार क्यों आ रही है चायपत्ती में गड़बड़ी?

पिछले कुछ सालों में मौसम की स्थिति में बहुत बदलाव हुआ है, गर्मी के वक्त लगतार सुखाड़ जैसी स्थिति बन जाती है, साथ ही मानसून में बारिश रुकने का नाम नहीं लेती। इस कारण पंखुड़ी में कीटाणु लग जाते हैं जिसके कारण पत्तियों को तोड़ने के बाद भी कीटाणु का अंश रह ही जाता है।

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मेरा नाम श्रीया श्री है। मैं पत्रकारिता अंतिम वर्ष की छात्रा हूं। मुझे लिखना बेहद पसंद है। फिलहाल मैं डीएनपी न्यूज नेटवर्क में कंटेंट राइटर हूं। मुझे स्वास्थ्य से जुड़ी कई चीजों के बारे में पता है और इसलिए मैं हेल्थ पर आर्टिकल्स लिखती हूं। इसके अलावा मैं धर्म, लाइफस्टाइल, एस्ट्रोलॉजी और एजुकेशन के विषय में भी आर्टिकल लिखती हूं।

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