Moonlighting In India: भारतीय उद्योग जगत में इन दिनों एक नए मसले पर काफी विवाद चल रह है। ये विषय काफी तेजी से चर्चा में आया है और इसने पूरे आईटी सेक्टर को हिलाकर रख दिया है। इस चर्चित विषय का नाम है मूनलाइटिंग, जी हां। ‘मूनलाइटिंग’ ने भारतीय आईटी सेक्कर में हंगामा मचा रखा है।

इस तरह से पैदा हुआ विवाद

आईटी सेक्टर में बीते कुछ समय से ‘मूनलाइटिंग’ का चलन बढ़ा है। आईटी सेक्टर में जहां एक तरफ तेजी से इसका चलन बढ़ा है, वहीं, इसको लेकर काफी आपत्ति भी जताई जा रही है। दरअसल, आपको बता दें कि ये सारा विवाद विप्रो के चेयरमैन   रिषद प्रेमजी के एक बयान से पैदा हुआ है। विप्रो के चेयरमैन ने मूनलाइटिंग को कंपनी के साथ धोखाधड़ी करार दिया है, तो चलिए जानते हैं कि आखिर क्या है मूनलाइटिंग और इस पर क्यों इतना घमासान छिड़ा है।

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क्या होती है मूनलाइटिंग, जानिए

‘मूनलाइटिंग’ को सरल भाषा में कहे तो जब एक कर्मचारी अपनी कंपनी के साथ-साथ किसी अन्य कंपनी या प्रोजेक्ट पर चोरी-छिपे काम करता है तो उस स्थिति को मूनलाइटिंग कहते है। ऐसा करने से कर्मचारी की अतिरिक्त कमाई हो जाती है, लेकिन यहां पर ध्यान रहें कि ये फ्रीलांसर से पूरी तरह से अलग होती है।

‘मूनलाइटिंग’ का बढ़ता चलन

आईटी सेक्टर में काम करने वाले कई लोगोंं ने इस तरीके को अपनाकर अपनी कमाई में इजाफा किया। इस बारे में आईटी सेक्टर के जानकारों का कहना है कि देश में कोरोना महामारी  के दौरान काफी लोगों ने अतिरिक्त कमाई के लिए इस तरीके को अपनाया। जानकारों का कहना है कि जब कंपनियां कर्मचारियों को सही वेतन देती है तो वे अतिरिक्ति कमाई के लिए ये रास्ता अपनाते हैं। हाल के दिन में इसमें काफी इजाफा हुआ है। इस मसले पर कई कंपनियों ने अपनी आपत्ति दर्ज की है। इन कंपनियों का कहना है कि इस तरह से कर्मचारी दोहरा रवैया अपना रहे हैं, जिससे नियमित कंपनियों पर काफी प्रभाव पड़ रहा है।

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अमित महाजन DNP India Hindi में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर काम कर रहे हैं.अमित ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में डिप्लोमा किया है. DNP India Hindi में वह राजनीति, बिजनेस, ऑटो और टेक बीट पर काफी समय से लिख रहे हैं. वह 3 सालों से कंटेंट की फील्ड में काम कर रहे हैं.

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