सरकार के थिंक-टैंक नीति आयोग ने बुधवार को देश में वित्तीय सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के लिए फुल-स्टैक ‘डिजिटल बैंक’ स्थापित करने का सुझाव दिया है। इसे लेकर डिस्कशन पेपर ( Discussion Paper) जारी किया है। नीति को लागू करने से पहले आयोग ने इस मामले पर लोगों से सुझाव भी मांगे हैं। आप इस बारे में क्या राय रखते हैं वो आप 31 दिसंबर तक आयोग को भेज सकते हैं। इस डिस्कशन पेपर में डिजिटल बैंक” या डीबी का अर्थ है बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (बीआर अधिनियम) में परिभाषित बैंक। जो पूरी तरह डिजिटल होगा।

नीति आयोग ने मांगे लोगों से सुझाव


नीति आयोग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि ये संस्थाएं पैसा जमा जारी करेंगी, ऋण देंगी और सेवाओं के पूर्ण सूट की पेशकश करेंगी जो बीआर अधिनियम उन्हें सशक्त बनाता है। जैसा कि नाम से पता चलता है, डीबी मुख्य रूप से अपनी सेवाओं की पेशकश करने के लिए इंटरनेट और अन्य निकटवर्ती चैनलों का सहारा लेगी। इसका कोई ब्रांच नहीं होगा।  नीति आयोग ने ‘डिजिटल बैंक्स: ए प्रपोजल फॉर लाइसेंसिंग एंड रेगुलेटरी रीजिम फॉर इंडिया’  शीर्षक नाम से जारी डिस्कशन पेपर में इसका जिक्र किया है। इसमें आयोग ने देश में डिजिटल बैंक की लाइसेंसिंग और नियामकीय व्यवस्था के रोडमैप की चर्चा की है।

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जारी किया डिस्कशन पेपर

नीति आयोग के मुताबिक भारत के पास डिजिटल बैंकों के लिए तकनीक पूरी तरह से उपलब्ध है। जो नियामकीय खाका और नीतियां बनाने का ब्‍लू-प्रिंट भारत को फिनटेक के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर की स्थिति मजबूत करने में मददगार होगा। सरकार लगातार डिजिटल बैंकिंग सेवा के लिए तैयार है। इसके लिए लोगों से सुझाव भी मांगे गये हैं। बता दें कि ये डिस्कशन पेपर नीति आयोग ने कानून के क्षेत्र के दिग्गजों, फाइनेंस, टेक्नोलॉजी और inter-ministerial से चर्चा करने के बाद ही जारी किया है। गौरतलब है कि ये बैंक भले ही डिजिटल होंगे लेकिन इनके काम करने का तरीका मौजूदा वाणिज्यिक बैंकों के समान ही होगा। 

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