Share Markets Falling: बढ़ती महंगाई (inflation) से दुनिया का हर देश प्रभावित है। ऐसे में अब कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका खासा असर पड़ रहा है। भारत के साथ-साथ विश्वभर के शेयर बाजार अब गिरने के ग्राफ में आ गए है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार (Indian stock market) में इस साल सेंसेक्स 11 फीसदी तक गिर चुका है। तो वहीं, अमेरिका का Dow Jones Industrial Average इस साल 15 फीसदी से ज्यादा गिर चुका है।

अमेरिका में सुनाई दे रही बवंडर की भी आहट

ऐसा कहा जाता है कि अमेरिका में पत्ता भी हिल जाए तो दुनिया को तूफान जैसा महसूस होता है। भले ही यह आपको एक कहावत की तरह लगे लेकिन कुछ हद तक यही सच है। इस बार अमेरिका की इकोनॉमी में सिर्फ पत्ता ही नहीं हिल रहा बल्कि बवंडर की भी आहट सुनने को मिल रही है।

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अमेरिका में 40 साल के शीर्ष पर महंगाई

अमेरिका में महंगाई के आंकड़े 40 साल के शीर्ष पर हैं तो गिरावट के मामले में स्टॉक एक्सचेंज, करीब 14 साल पुरानी कहानी दोहराते नजर आ रहे हैं। तब हालात बैंकिंग फर्म लेहमैन ब्रदर्स के दिवालिया हो जाने से बिगड़े और अमेरिका के अलावा भारत समेत दुनियाभर के शेयर बाजार रेंगते नजर आए थे। इस बार परिस्थिति थोड़ी उलट और विकट है

अमेरिकी स्टॉक मार्केट के सूचकांक-S&P 500 ने अपने जनवरी के उच्चतम स्तर के बाद से 20% से अधिक का नुकसान झेल लिया है। इसी के साथ S&P 500 की बियर मार्केट में एंट्री हो गई है। एक अन्य सूचकांक-नैस्डैक पहले से ही बियर मार्केट में शामिल है। यह इस साल 25 फीसदी से ज्यादा टूट चुका है।

इस वजह से गिर रही वैश्विक शेयर मार्किट

इस बार यूक्रेन-रूस की जंग और कोरोना की मार ने अमेरिका समेत ग्लोबल इकोनॉमी की मुसीबत बढ़ाई है। ऐसे में सप्लाई चेन पर असर की वजह से महंगाई की रफ्तार भी तेज होती जा रही है। महंगाई की यह स्पीड जितनी तेजी से बढ़ रही है, उतनी ही तेजी से इकोनॉमी पस्त होती दिख रही है और शेयर बाजार लुढ़क रहे हैं।

2008 वाली मंदी की आ रही है याद

अमेरिकी शेयर बाजार का जो माहौल है, उसे देखकर निवेशकों को 2008 वाली मंदी की याद आ रही है। थॉर्नबर्ग इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट के पोर्टफोलियो मैनेजर क्रिश्चियन हॉफमैन मंदी की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि लिक्विडिटी इतनी खराब हो गई है, हमें 2008 के ब्लैक ट्रेडिंग डे याद आ रहे हैं। हॉफमैन के मुताबिक बाजार में लिक्विडिटी लेहमैन संकट की तुलना में बदतर है। यह संकट आगे भी बढ़ सकता है।

चीन की अर्थव्यवस्था का भी बुरा हाल

उधर, चीनी अर्थव्यवस्था के इस साल 2.5 फीसदी की दर से विकास करने का अनुमान है, जो न केवल भारत से कम है बल्कि अमेरिका की भी अनुमानित विकास दर से कम है. चीन ने इस साल के लिए GDP ग्रोथ की दर 5.5 फीसदी रखी है जो पिछले तीन दशक में सबसे कम है।

जानिए क्या होता है बुल मार्केट

बुल मार्केट वह स्थिति है जिसमें वित्तीय बाजार बढ़ रहा है या फिर निकट भविष्य में ऐसा होने की उम्मीद है। ‘बुल’ वास्तविक दुनिया के बैल से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर की दिशा में हमला करता है। यह या तो बेसलाइन पर शुरू होता है (आर्थिक गतिविधि की शुरुआत के दौरान) या फिर चक्र के नीचे। बाजार मजबूत होने पर बुल मार्केट सामने आता है और आगे की संभावनाएं बहुत ही आकर्षक होती हैं। यह निवेशकों के विश्वास को मजबूत करता है, जिसमें अधिक लोग खरीदना चाहते हैं और कम लोग बेचना चाहते हैं।

आसान भाषा में समझिए क्या होता है बीयर मार्किट

बियर मार्केट, बुल मार्केट के बिल्कुल विपरीत है। इस मामले में वित्तीय बाजार स्टॉक की कीमतों में गिरावट के साथ सुधार का अनुभव करता है और निकट अवधि में गिरने की उम्मीद करता है। बहुत कुछ ‘बुल’ की तरह, बियर मार्केट का ‘बियर’ भी वास्तविक दुनिया के भालू से लिया गया है, जो आमतौर पर ऊपर के बजाए नीचे की दिशा को हिट करता है। जब बाजार में संतृप्ति हो जाती है तो भालू का बाजार बढ़ जाता है क्योंकि बाजार संतृप्त हो जाता है (आपूर्ति मांग से अधिक हो जाती है)। यह आम तौर पर बुल-रन की ऊंचाई पर होता है और गर्त बनने तक जारी रहता है।

गौरतलब है कि इस तरह से वैश्विक बाजार में मंदी के संकेत दुनिया को खराब स्थिति में लेकर जाएंगे। जहां पर अभी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के प्रकोप से उभरी नहीं है। ऐसे में ये बड़ा झटका दुनिया के कई छोटे देशों के लिए विनाशकारी सिद्ध हो सकता है।

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अमित महाजन DNP India Hindi में कंटेंट राइटर की पोस्ट पर काम कर रहे हैं.अमित ने सिंघानिया विश्वविद्यालय से जर्नलिज्म में डिप्लोमा किया है. DNP India Hindi में वह राजनीति, बिजनेस, ऑटो और टेक बीट पर काफी समय से लिख रहे हैं. वह 3 सालों से कंटेंट की फील्ड में काम कर रहे हैं.

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