उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) की बुलडोजर (Bulldozer) कार्रवाई के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनी। सरकार की ओर से जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने जहां इस कार्रवाई को सही ठहराया, वहीं याचिकर्ता के वकील सीयू सिंह ने इस पर रोक लगाने की मांग की। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस एस बोपन्ना की वेकेशन बेंच ने सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से अतिक्रमण अभियान को लेकर जवाब मांगा है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि कोई भी कार्रवाई नियम के अनुसार ही होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि अनधिकृत संरचनाओं को हटाने में कानून की प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो। साथ ही कोर्ट ने योगी सरकार और प्रयागराज और कानपुर अथॉरिटी से इस मामले में तीन दिन के भीतर जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा सब कुछ निष्पक्ष होना चाहिए। अब इस मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में याचिकर्ता के अभियान रोकने वाली मांग को नहीं माना है और पथराव के आरोपियों के घरों को ढहाने के लिए बुलडोजर के कथित इस्तेमाल पर राज्य की योगी सरकार से जवाब मांग लिया है।

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याचिकाकर्ता की दलील

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकर्ता के वकील सीयू सिंह ने कहा कि विध्वंस का कारण यह बताया गया कि हिंसा में शामिल प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। वकील ने आगे तर्क दी कि विध्वंस बार-बार होता रहता है, यह चौकाने वाला और भयावह है। यह आपातकाल के दौरान नहीं था, स्वतंत्रता पूर्व युग के दौरान नहीं था। ये 20 साल से अधिक समय से खड़े घर हैं और कभी-कभी ये आपोरी के नहीं बल्कि उनके माता-पिता के भी हो सकते हैं।

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सरकार पक्ष की दलील

वहीं यूपी सरकार की ओर से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहांगीर विध्वंस मामले में किसी भी प्रभावित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर नहीं की। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की तरफ से पहले ही नोटिस दिया गया था। किसी के भी खिलाफ कोई गलत कार्रवाई नहीं हुई है। सरकार किसी खास समुदाय को टारगेट नहीं कर रही है।

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