अल्मोड़ा के चोखुटिया तहसील के गड़स्यारी गांव में अब भी मोबाइल टावर नहीं है जिससे वहां के बच्चे कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। अगर गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो एंबुलेंस के लिए खबर करने भी तीन किलोमीटर दूर जाना पड़ता है। गांव को लोगों ने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और दूसरों को चिट्ठी लिख कर तुरंत वहां मोबाइल टावर लगाने की मांग की है। भारत को डिजिटल इंडिया बनाने की कोशिश हो रही है। लेकिन असलियत है कि आज भी पहाड़ के कई गांवों में संचार व्यवस्था बदहाल है। अलमोड़ा के चौखुटिया तहसील के गड़स्यारी गांव में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पहाड़ की चोटियों या जंगलों में जाना पड़ रहा है। बच्चे पहाड़ की चोटियों पर या खेतों में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। उनका कहना है देश में 5जी आने वाला है मगर उनके गांव में इंटरनेट तक नहीं है।

PM-CM से ग्राम प्रधान की गुहार

गांव के लोगों ने कई बार गुहार लगाई। मगर लगता है कोई सुनने वाला नहीं है। अभिभावकों ने इस समस्या से जल्द निजात दिलाने की मांग की है। ग्राम प्रधान ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख कर समस्या के निदान की गुहार लगाई है। उन्होंने मोबाइल टावर के साथ जमीन पर केबल भी बिछाने की मांग की है। उन्होंने कहा कई बार गुहार लगाने के बाद भी किसी जनप्रतिनिधि ने उनकी नहीं सुनी। जिसके कारण अब उन्होंने प्रधानमंत्री से इस समस्या के निदान के लिए गुहार लगाई है।

2जी और 3जी नेटवर्क नहीं

पहाड़ी क्षेत्रों से चुनकर लोकसभा और विधानसभा पहुंचने वाले नेताओं से ये सवाल तो बनता ही है कि पहाड़ की भोलीभाली जनता से वादे करने वाले जीत के बाद क्यों भूल जाते हैं अपनी जनता को जो आज अपनी समस्याओं की गुहार लगाते लगाते थक चुकी है। देश में एक ओर 5जी टेक्नोलॉजी का ट्रायल चल रहा है, वहीं, दूसरी ओर उत्तराखंड के गड़स्यारी गांव के लोगों को आज भी 2जी और 3जी नेटवर्क तक नहीं मिल पा रहा है। इन लोगों को नेटवर्क की तलाश में पहाड़ियां चढ़नी पड़ती है, जंगलों में जाना पड़ता है। जहां भी बड़ी मुश्किल से नेटवर्क मिल पाता है।

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