इंडिया गेट पर रखी Amar Jawan Jyoti को अब राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में रख दिया गया है।अब दोनों ज्योतियों का विलय कर दिया गया है। यहीं पर 1947 से लेके अब तक देश की रक्षा करने के लिए शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती है।

Amar Jawan Jyoti का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ विलय करने पर एक बहस छिड़ गयी है। इस बहस से कुछ ऐतिहासिक जानकारियों का पता चला है कि इंडिया गेट पर Amar Jawan Jyoti को पहले से ही अस्थायी माना गया था, और भारत के युद्ध नायकों के लिए पहले से ही एक स्थायी स्मारक का निर्माण करना था। यह पता चला है कि दिवंगत प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने, बहुत पहले 1972 तक, दिल्ली में अमर जवान नामक एक स्थायी युद्ध स्मारक बनाने पर विचार कर रही थी।

1 सितंबर, 1972 को लोकसभा में “विजय स्मारक के निर्माण” पर एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए, वक़्त के तत्कालीन रक्षा मंत्री जगजीवन राम ने युद्ध स्मारक और Amar Jawan Jyoti की अस्थायी प्रकृति का उल्लेख किया है। इंडिया गेट पर Amar Jawan Jyoti और सरकार की भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया है।

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जगजीवन राम ने लोकसभा में कहा था “दिल्ली में इंडिया गेट के आर्च के नीचे Amar Jawan Jyoti के साथ एक अस्थायी युद्ध स्मारक का निर्माण किया जा चुका है। आजादी के बाद से शहीद हुए हमारे सभी युद्धों की स्मृति में दिल्ली में एक स्थायी युद्ध स्मारक (अमर जवान) बनाने का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन है। क्या पाकिस्तान के साथ दिसंबर 1971 के युद्ध सहित युद्ध में मारे गए लोगों के नाम व्यक्तिगत रूप से अंकित किए जाएंगे या क्या उनकी स्मृति को सामूहिक रूप से उन रेजीमेंटों और इकाइयों के नाम लिखकर याद किया जाएगा, जिन्होंने तब से विभिन्न सैन्य अभियानों और संघर्षों में भाग लिया था। स्वतंत्रता, एक ऐसा मामला है जिस पर उचित समय पर निर्णय लिया जाएगा।”

बाबू जगजीवन राम ने लोकसभा में यह जवाब कांग्रेस पार्टी के ही जूनागढ़ से तत्कालीन सांसद वकारिया नानजीभाई रावजीभाई के सवाल पर दिया था। वकारिया नानजीभाई रावजीभाई ने पूछा था कि क्या सरकार 1971 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों के नाम से कोई स्मारक बनाएगी, जिनमें उनका नाम हो और उनकी रेजिमेंट क्या थी। और अगर ऐसा कोई स्मारक नहीं बनाना है तो फिर इसके पीछे की क्या वजह है।

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