5 अगस्त को अयोध्या में भूमिपूजन के बाद प्रभु राम मंदिर निर्माण का काम शुरु हो चुका है। इंजीनियर स्थल पर मिट्टी का परीक्षण कर रहे हैं। श्री राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ने गुरुवार को बैठक आयोजित की गई। बैठक में चंपत राय, नृपेंद्र मिश्र, गोविंद देव गिरी समेत आईआईटी मद्रास, सीबीआरआई, एल एंड टी के अधिकारियों समेत कुल 10 लोग मौजूद रहे। जानकतारी के मुताबिक, मंदिर निर्माण कार्य पूरा होने तक प्रोग्रेस रिपोर्ट के लिए अब रोजाना मीटिंग होगी। आज की बैठक में मंदिर में किए गए विस्तार पर चर्चा हुई। खास तौर पर मंदिर में बढ़ाए गए गुम्बदों की संख्या और शिखर की ऊंचाई पर आने वाले खर्च और लगने वाले समय पर विचार किया गया। साथ ही बैठक के बाद ट्वीट कर बताया गया कि, मंदिर के निर्माण में देश की प्राचीन और पारंपरिक निर्माण तकनीकों का पालन किया जाएगा। मंदिर का निर्माण ऐसे किया जाएगा जिससे इस पर भूकंप, तूफान और अन्य प्राकृतिक आपदाओं का कोई असर नहीं होगा।

ट्वीट करके ट्रस्ट ने बताया कि विशेष रूप से मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं होगा। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण के लिए तांबे की प्लेटों का उपयोग करके पत्थरों को ब्लॉक किया जाएगा। प्लेटें 18 इंच लंबी, 30 मिमी चौड़ी और 3 मिमी गहराई में होनी चाहिए। कुल संरचना में 10,000 ऐसी प्लेटों की आवश्यकता हो सकती है। हम श्री रामभक्तों से ट्रस्ट को ऐसी तांबे की प्लेट दान करने के लिए निवेदन करते हैं। लोगों से अपील करते हुए ट्रस्ट ने कहा, दान की गई तांबे की पत्तियों पर दानकर्ता अपने परिवार, क्षेत्र अथवा मंदिरों का नाम गुदवा सकते हैं। इस प्रकार से ये तांबे की पत्तियां न केवल देश की एकात्मता का अभूतपूर्व उदाहरण बनेंगी, अपितु मन्दिर निर्माण में सम्पूर्ण राष्ट्र के योगदान का प्रमाण भी देंगी। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने विश्व हिंदू परिषद मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि मंदिर निर्माण में पत्थरों का उपयोग होगा। पत्थरों की आयु के हिसाब से ही मंदिर की एक हजार वर्ष आयु का आकलन किया गया है। निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो ने योग्यतम लोगों को अपने साथ जोड़ा है।

https://twitter.com/ShriRamTeerth/status/1296346214623936515

बैठक के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि, बैठक में आया कि सीआरबीआई रुड़की और आईआईटी मद्रास का पूरा सहयोग लिया जा रहा है, 10 से 12 जगह पर 60 मीटर की गहराई तक मिट्टी की जांच हुई है। इसके आधार पर फिर भूकंप की स्टडी हुई है। उन्होंने कहा कि आज ये बात सामने आई कि 30 से 35 मीटर गहराई से नींव लानी पड़ेगी और 1 मीटर व्यास के गोल आकार में लानी पड़ेगी। तीन एकड़ में ऐसे कम से कम 1200 खंभे होंगे।

बैठक में संघ के लोग भी मौजूद रहे, इस पर ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय ने कहा कि- हां, आज संघ के लोगों को इसलिए बुलाया था ताकि उनको ये पता रहे कि निर्माण के क्षेत्र में क्या चल रहा है। मंदिर निर्माण के लिए संघ की भूमिका को कोई कैसे नजरअंदाज कर सकता है। देश के लोगों के मन में मंदिर के लिए भूख किसने जगाई आपको मालूम होना चाहिए। अशोक सिंघल जी तो महज एक फेस थे।

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